नई दिल्ली केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले व खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने लागत और प्रबंधन लेखाकारों (कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट) से उद्योग द्वारा गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित करने और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि लागत लेखाकार भारतीय उद्योग को लागत प्रतिस्पर्धी और उद्योग को खर्च के प्रति जागरूक बनाने में मदद करते हैं।
श्री गोयल ने आज यहां भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) द्वारा आयोजित 'लागत प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए 17वें राष्ट्रीय पुरस्कार-2019' और 'पांचवें सीएमए पुरस्कार-2017 और छठे सीएमए पुरस्कार-2019' प्रदान करने के बाद कहा, "अगर हम अपने निर्यात उत्पादों के लिए लागत बोझ को कम करते हैं और दूसरे खर्चों को घटाना शुरू करते हैं, तो यह हमारी लागत को प्रतिस्पर्धात्मकता और हमारे निर्यात बढ़ाने के साथ हमारी क्षमता को भी बढ़ाने में मदद करेगा जो (ए) उत्पाद की लागत निकालने और (बी) मुनाफे की ओर ले जाएगा।"
श्री गोयल ने कहा कि निर्यात 'समृद्धि का चक्र' है जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “निर्यात के मोर्चे पर हम जो कुछ भी हासिल करते हैं, वह हमारी आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करता है। जब निर्यात को हम अपनी आर्थिक गतिविधि में शामिल होते हैं, तो देखें कि हमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं,- (ए) हम बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं, जो हमें अपनी आयात आवश्यकताओं, हमारी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं के अलावा, निश्चित रूप से, निवेश और बड़े पैमाने पर संतुलन करने में मदद करता है। दुनिया भर में 3 करोड़ से अधिक भारतीय विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं, लेकिन हमारे पास अभी भी इसकी कमी है।”
श्री गोयल ने एक मजबूत और स्थिर रुपये के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विदेशी व्यापार को बड़े पैमाने पर फायदा पहुंचा है। साथ ही प्रचुर मात्रा में विदेशी मुद्रा का भंडार हमारी मुद्रा के अवमूल्यन रोकने में मदद करता है।
उन्होंने कहा, "अगर हम अपनी मुद्रा को अवमूल्यन से बचा सकते हैं, तो हम ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। इससे हम अपने समाज पर महंगाई के प्रभाव को कम कर सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि हम अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में उत्पादों को आयात करते हैं।"
श्री गोयल ने कहा कि आईसीएआई 78 वर्षों से लागत एवं प्रबंधन लेखाकार (सीएमए) पेशेवरों का तालीम दे रहा है। आज, यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा लागत और प्रबंधन लेखा निकाय है और एशिया में सबसे बड़ा है, जिसमें 85,000 से अधिक पेशेवर हैं, और लगभग 5 लाख छात्र सीएमए कर रहे हैं।
श्री गोयल ने कहा कि सीएमए विकास का संरक्षक है। उन्होंने कहा कि लागत पर नियंत्रण रखते हुए, वे संगठनों को यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि हर गतिविधि में उन्हें दक्षता हासिल हो।
उन्होंने कहा, "आइए हम सब इस यात्रा में एक कदम आगे बढ़ें और जैसा कि प्रधान मंत्री कहते हैं, 'जब हम में से प्रत्येक एक कदम बढ़ाते हैं, तो यह समृद्धि की ओर 135 करोड़ कदम बढ़ते हैं।”