समग्र योजना, एकीकृत प्रबंधन और संयुक्त प्रयासों के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं'

रामजी पांडे

नई दिल्ली केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्य मंत्री, एमओईएफ एंड सीसी श्री अश्विनी कुमार चौबे के साथ संयुक्त रूप से वानिकी संबंधी पहलों के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की। झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी इन 13 नदियों के लिए डीपीआर जारी किए गए हैं। डीपीआर को राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण विकास बोर्ड (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा वित्तपोषित किया गया और इसे भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) देहरादून, द्वारा तैयार किया गया। इस अवसर पर श्रीमती लीना नंदन, सचिव, एमओईएफ एंड सीसी, श्री सीपी गोयल वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव एमओईएफ एंड सीसी, श्री अरुण सिंह रावत महानिदेशक आईसीएफआरई भी उपस्थित थे।

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नदी पारिस्थितिकी तंत्र के सिकुड़ने और उसके क्षरण के कारण ताजा पानी के संसाधनों के घटने से बढ़ता जल संकट पर्यावरण, संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से संबंधित राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने में बड़ी बाधा है। 13 नदियां सामूहिक रूप से 18,90,110 वर्ग किमी के कुल बेसिन क्षेत्र को आच्छादित करती हैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 57.45 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। परियोजना के अंतर्गत 202 सहायक नदियों सहित 13 नदियों की लंबाई 42,830 किमी है।

सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि ये डीपीआर आने वाले 25 वर्षों को 'अमृत काल' के रूप में बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समग्र दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। ये डीपीआर आगामी 10 वर्षों और 20 वर्षों के लिए ग्रीन कवर विस्तार का लक्ष्य तैयार करेंगे, जिससे वर्तमान पीढ़ी की 'वन भागीदारी और जन भागीदारी' पहल के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए 'ग्रीन इंडिया' मिले। श्री यादव ने आगे कहा कि परियोजनाओं से बढ़ता जल संकट कम होगा और जलवायु परिवर्तन व सतत विकास से संबंधित राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।