नई दिल्ली :भारती एंटरप्राइजेज की लोक-हितैषी शाखा, भारती फाउंडेशन के साथ साझेदारी में नीति आयोग ने कॉन्वोक 2021-22 की शुरूआत की।
कॉन्वोक एक राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी है जिसका उद्देश्य भारत भर के सभी शिक्षकों, शिक्षाविदों, स्कूलों के प्रमुखों पर विशेष ध्यान देने के साथ शिक्षा प्रदान करने और इसकी गुणवत्ता को मजबूत करने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है। इस मंच के माध्यम से, सरकारी स्कूलों के स्कूल शिक्षकों/प्रमुखों/प्राचार्यों और भारती फाउंडेशन नेटवर्क के शिक्षकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से अनुसंधान-आधारित समाधानों का उपयोग करने और सीखने के परिणामों में सुधार के लिए जमीनी स्तर पर किए गए अपने प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भी शिक्षकों और संकायों को अध्ययन प्रक्रिया केन्द्र के रूप में पहचानती है। यह अनुशंसा करता है कि शिक्षकों को शिक्षण के नए दृष्टिकोण के लिए पहचाना जाएगा जो उनकी कक्षाओं में अध्ययन के नतीजों में सुधार करते हैं। एनईपी प्लेटफॉर्म विकसित करने की सिफारिश करता है ताकि शिक्षक व्यापक प्रसार और प्रतिकृति के लिए विचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकें।
वर्षों से शिक्षक छात्रों की मदद करने के लिए और लॉकडाउन के दौरान और अधिक मदद करने के लिए अभिनव समाधान लेकर आए। कॉन्वेकके माध्यम से वे अब अपने सूक्ष्म शोध पत्र साझा कर सकते हैं। इन शोध पत्रों का विश्लेषण शिक्षाविदों के एक पैनल द्वारा किया जाएगा। शॉर्टलिस्ट किए गए शोध पत्र जनवरी, 2022 में निर्धारित 'राष्ट्रीय अनुसंधान संगोष्ठी' के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने की और कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, नीति आयोग के सलाहकार (शिक्षा) डॉ. प्रेम सिंह,भारती फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष श्री राकेश भारती मित्तल और भारती फाउंडेशन की सीईओ सुश्री ममता सैकिया ने भाग लिया।शिक्षा मंत्रालय, एनआईईपीए के प्रतिनिधियों, सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों/एससीईआरटी के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा, "गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि हमने प्रारंभिक शिक्षा में सार्वभौमिक पहुंच हासिल कर ली है। कोविड 19 के कारण स्कूल बंद होने से अध्ययन की पुरानी अवस्था में पहुंचने के लिए यह एक तात्कालिक और सबसे महत्वपूर्ण कार्य बन जाता है। मुझे उम्मीद है कि कॉन्वोक एक ऐसा मंच बन जाएगा जो अखिल भारतीय होगा और यह आनंदपूर्ण शिक्षण और अध्ययन के माध्यम से ज्ञान अर्जित करने में सुधार की दिशा में एक आंदोलन बन जाएगा। मैं सभी शिक्षा हितधारकों से हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को एक मिशन बनाने की अपील करता हूं। हमें प्री-स्कूल शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चे प्री-स्कूल नहीं जा रहे हैं और इसलिए जब वे स्कूलों में प्रवेश करते हैं तो वे अध्ययन के परिणामों में पिछड़ जाते हैं।”
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके समाधान खोजने पर बहुत जोर देती है, शिक्षकों और छात्रों को 21वीं सदी के कौशल विकसित करने में मदद करती है। यह भारत में अनुसंधान की गुणवत्ता और मात्रा को बदलने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की कल्पना करता है, जिसमें स्कूली शिक्षा में वैज्ञानिक पद्धति और आलोचनात्मक सोच पर जोर देने के साथ सीखने की अधिक खेल और खोज-आधारित शैली में निश्चित बदलाव शामिल है।