नई दिल्ली:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में नल के पानी के कनेक्शन की व्यवस्था करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। मेघालय में जल जीवन मिशन को लागू करने और उसमें तेजी लाने के लिए भारत सरकार ने राज्य को 169.60 करोड़ रुपये जारी किए। 2021-22 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन को लेकर राज्य को 678.39 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है जो 2020-21 के लिए मुकाबले लगभग चार गुना है।
राज्य में 5.90 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 1.88 लाख ग्रामीण परिवारों (31.94%) के पास नल के पानी का कनेक्शन है। 2021-22 में राज्य के 3.39 लाख ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन देने की योजना है।
बजट आवंटन में भारी वृद्धि इस बात का सबूत है कि केंद्र सरकार की ओर से जल जीवन मिशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। बजटीय आवंटन को देखें तो पता चलता है कि पिछले वर्ष 23,022 करोड़ रुपए था जबकि 2021-22 में 92,309 करोड़ रुपये का बजट है।
इसके अलावा 2021-22 में 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में मेघालय को ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए 82 करोड़ रुपये आवंटित किए गए और ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक 426 करोड़ रुपये का फंड सुनिश्चित किया गया है।
जल जीवन मिशन को 'नीचे से ऊपर' दृष्टिकोण के बाद साथ स्थानीय प्रबंधन के हिसाब से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें योजना से लेकर कार्यान्वयन और प्रबंधन के संचालन और रखरखाव में स्थानीय ग्राम समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए राज्य ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) को मजबूत करने और ग्राम कार्य योजना को विकसित करने के साथ-साथ ग्राम सभा में इसे मंजूरी देने जैसी कई गतिविधियां चलाता है। जिसमें समुदाय उनके लिए लागू की जाने वाली जलापूर्ति योजनाओं पर विचार-विमर्श करता है। यह कार्यक्रम महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि वे किसी भी घर में प्राथमिक रूप से जल का प्रबंधन करती हैं। मिशन के बारे में लोगों को जागरूक करना, उन्हें सुरक्षित पानी के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाना, समुदाय के साथ जुड़ने और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए पंचायती राज संस्थानों पीआरआई को सहयोग देने के लिए विभाग की ओर से कार्यान्वयन सहायता एजेंसियां आईएसए को लगाया गया है।
2021-22 के लिए मेघालय ने करीब 11 हजार हितधारकों की क्षमता बनाने की योजना बनाई है, जिसमें सरकारी अधिकारी, आईएसए, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियर, ग्राम जल और स्वच्छता समिति, निगरानी समिति और पंचायत सदस्य शामिल हैं। साथ ही कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य में 9 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें राजमिस्त्री, प्लम्बर, फिटर, इलेक्ट्रीशियन और पंप संचालक के रूप में काम करने के लिए स्थानीय लोगों की कुशलता सुनिश्चित की जाएगी। ऐसी पहल कुशल और अर्धकुशल वर्गों के तहत गांवों में रोजगार उपलब्ध कराने और आय सृजन के अवसर प्रदान करेगी।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जोर देते हुए देश में 2,000 से अधिक जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं आम लोगों के लिए खोली गई हैं, ताकि वे जब चाहें नाममात्र की कीमत पर अपने पानी के नमूनों की जांच करवा सकें। मेघालय में 31 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं।
सभी विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल, मध्यान्ह भोजन पकाने, हाथ धोने व शौचालयों में उपयोग के लिए नल के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मेघालय के 7,281 स्कूलों (55%) और 2,442 (53%) आंगनबाड़ी केंद्रों में नल के पानी की आपूर्ति की गई है।
15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल का पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, इसी के तहत राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन को लागू किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद मिशन के शुभारंभ के बाद से 5.38 करोड़ (28%) से अधिक घरों में नल के पानी की आपूर्ति शुरू की गई। अब तक 8.62 करोड़ (45%) ग्रामीण परिवारों को घरेलू नलों से पीने योग्य पानी मिलता है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुड्डुचेरी और हरियाणा ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं जहां 'हर घर जल' पहुंच चुका है यानी 100 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल का जल मिल रहा है। 2022 में मेघालय का लक्ष्य 'हर घर जल' राज्य बनाना है।