रामजी पांडेय
नई दिल्ली:पर्यटन मंत्रालय ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से ताज लैंड्स एंड, मुंबई में आठ नवंबर, 2021 को फिल्म पर्यटन पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य फिल्म शूटिंग के संचालन के लिए राज्यों में उपलब्ध अवसरों की खोज करके फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देना है।
फिल्म पर्यटन क्या है?
'फिल्म पर्यटन' तब होता है जब कोई दर्शक किसी फिल्म को देखने के बाद किसी विशेष स्थान पर जाने के लिए प्रेरित होता है। यह उन स्थानों के लिए आम जनता के बीच बढ़ती रुचि को दर्शाता है जो फिल्मों के कुछ दृश्यों में अपनी उपस्थिति के कारण लोकप्रिय हो गए।
राज्य सरकारों और फिल्म संवर्धन कार्यालय की भूमिका
पर्यटन मंत्रालय के सचिवश्री अरविंद सिंह ने फिल्म पर्यटन को लेकर कहा, "हमारे शासन की संघीय प्रणाली इस तरह के (फिल्म) प्रोत्साहन को ज्यादातर राज्य का विषय बनाती है और मुझे कहना होगा कि ऐसे कई राज्य हैं जो सक्रिय रूप से फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहित करते हैं और हैं इस संबंध में काफी सफल है। पर्यटन मंत्रालय इस तरह के प्रयासों को 'सर्वश्रेष्ठ फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य' श्रेणी के तहत प्रत्येक वर्ष दिए जाने वाले राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार के माध्यम से मान्यता देता है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि, "राज्य सरकारों को समय पर शूटिंग की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है क्योंकि मंजूरी से संबंधित अधिकांश मुद्दे स्थानीय हैं और राज्य सरकारों के दायरे में हैं, राज्य सरकारों को मुख्यमंत्री कार्यालय में सर्वोच्च स्तर पर एक फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने पर विचार करने की आवश्यकता है जो विभिन्न विभागों और संस्थानों के बीच समन्वय स्थापित कर सकेऔर समय पर मंजूरी हासिल कराने में मदद करे। फिल्म संवर्धन कार्यालय को यह भी अधिकार होना चाहिए कि वह जहां भी आवश्यक हो, स्थानीय स्तर पर मुद्दों को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करे।
श्री सिंह ने फिल्म पर्यटन के क्षेत्र में भारत की विशाल संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत के विविध परिदृश्य, मौसम, रंग, वन्य जीवन और अधिक महत्वपूर्ण रूप से हमारी संस्कृति और विरासत के साथ-साथ विश्व स्तर के तकनीशियनों की उपलब्धता भारत को फिल्म की शूटिंग के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। हालांकि, हम स्वीकार करते हैं कि कई अड़चनें हैं और इस पर ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। यह दो-आयामी दृष्टिकोण होना चाहिए, एक नीति स्तर पर निर्माताओं के लिए भारत में शूटिंग के लिए प्रक्रियात्मक रूप से आसान बनाकर और दूसरा एक फिल्म शूटिंग गंतव्य के रूप में भारत की विशाल क्षमता के बारे में जागरूक करके प्रोत्साहन के प्रयास के साथ।"
श्री अरविंद सिंह ने फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने में पर्यटन मंत्रालय की पहल की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा,“पर्यटन मंत्रालय ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) गोवा, कान फिल्म महोत्सव जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में अतुल्य भारत के सब-ब्रांड के रूप में भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एनएफडीसी के साथ एक समझौता ज्ञापन किया था ताकि पर्यटन तथा फिल्म उद्योग के बीचतालेमल स्थापित करने और भारतीय एवं वैश्विक फिल्म उद्योग के बीच साझेदारी को सक्षम करने के लिए एक मंच प्रदान करने में मदद मिल सके।”