रामजी पांडे
नई दिल्ली “हर किरदार में कोई न कोई दीवानगी होती है। असली जादू तब होता है, जब अभिनेता इस दीवानगी को समझ लेता है।” यह बात बॉलीवुड सुपरस्टार ऋतिक रोशन ने 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान आज इन-कर्न्वसेशन के एक वर्चुअल सत्र के दौरान कही।
ऋतिक ने कहा कि अभिनेता को सबसे पहले किसी भी किरदार को अपने भीतर महसूस करना और उसके साथ मजबूत रिश्ता बनाना होता है। उन्होंने कहा, “मैं जो भावनाएं प्रदर्शित करता हूं, उन्हें महसूस करता हूं। आमतौर पर ये भावनाएं वास्तविक होती हैं, क्योंकि मैं उन्हें अपने जीवन और अनुभवों से ग्रहण करता हूं।”
महत्वाकांक्षी अभिनेताओं को सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “उन्होंने स्वयं को ओलम्पिक खिलाडि़यों जैसा समझना चाहिए। उन्हें रोजाना कड़ा प्रशिक्षण और अभ्यास करना चाहिए और सिने-प्रेमियों से घिरे रहना चाहिए।”
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए इस सुपरस्टार ने कहा, “हमारे सामाजिक वातावरण के सभी तरह के लोगों को सिनेमा में उचित रूप में निरुपित किया जाना चाहिए। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के उद्भव के साथ ही सभी अभिनेताओं और फिल्मकारों के लिए व्यापक संभावनाएं उत्पन्न हो गई हैं। यह कितना शानदार है कि प्रत्येक अभिनेता के पास सुपरस्टार बनने का अवसर मौजूद है! ”
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “अक्सर किसी फिल्म के पूरा होने के बाद कुछ ऐसे किरदारों को जहन से निकालना और भुला पाना मुश्किल होता है, जिनका आप पर गहरा प्रभाव हो। कोई मिल गया और काबिल के किरदारों को जहन से निकाल पाना बहुत हताशाजनक था।”
इस सत्र में भाग लेते हुए लेखक एवं निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने कहा कि फिल्म का निर्देशन लम्बी और मुकम्मल प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा, “निर्देशक को सबसे पहले कहानी को समझना होता है। उसके बाद उसे स्क्रिप्ट, संवाद, अभिनेताओं का चयन, पटकथा और बहुत सी चीजे देखनी होती हैं। ”
इन-कर्न्वसेशन सत्र का संचालन बॉलीवुड ट्रेड विश्लेषक कोमल नाहटा ने किया।