भूमि संसाधन विभाग का लक्ष्य मार्च 2023 तक डी आई एल आर एम पी को पूरा करने का है


रामजी पांडे
नई दिल्ली:ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में आज ‘भूमि संवाद’- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डी आई एल आर एम पी) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ने नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन जी डी आर एस) पोर्टल और डैशबोर्ड का भी शुभारंभ किया।

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इस अवसर पर विभिन्न राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने भूमि प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करने वाले राज्यों से अन्य राज्यों को सीखने और उन्हें अपनाने का आह्वान किया। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करने और प्रोत्साहित करने के लिए भूमि संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय भूमि प्रबंधन पुरस्कार-2021 और बुनियादी ढांचे के लिए भूमि अधिग्रहण की सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर राज्यों की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग भी शुरू की है।

विशिष्ट भू खंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) के महत्व के बारे में बात करते हुए श्री सिंह ने कहा कि यह एक प्रकार से भूखंड के आधार नंबर की तरह है। उन्होंने कहा कि इस अनूठी प्रणाली में भूखंड के लिए भू-निर्देशांक के आधार पर एक विशिष्ट पहचान संख्या तैयार की जाती है और उक्त भूखंड की पहचान के लिए इसे अंकित किया जाता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत कम्प्यूटरीकृत डिजिटल भूमि रिकॉर्ड देश के विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित क्षेत्रों के बीच साझा करने और देश भर में भूखंडों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने की एक समान प्रणाली के लिए की गई है। अब तक इसे 13 राज्यों में लागू किया जा चुका है और 6 राज्यों में प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है। विभाग ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) के अंत तक पूरे देश के भूखंडों को विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करने की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने कहा कि जब यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी तो अधिकांश भूमि विवाद अपने आप सुलझ जाएंगे।