रामजी पांडेय
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में बौद्ध अभिधम्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के सहयोग से किया गया। अभिधम्म दिवस बौद्ध भिक्षुओं और ननों के लिए तीन महीने की वर्षा वापसी-वर्षावास या वासा की समाप्ति का प्रतीक है, जिसके दौरान वे विहार और मठ में एक स्थान पर रहते हैं और प्रार्थना करते हैं।
कुशीनगर में अभिधम्म दिवस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, श्रीलंका के कैबिनेट मंत्री श्री नमल राजपक्षे, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह, संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी, उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव डॉ. धम्मपिया ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रीलंका से बौद्ध प्रतिनिधिमंडल, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओ पीडीआर, भूटान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, मंगोलिया, जापान, सिंगापुर, नेपाल के राजनयिक मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अश्विन पूर्णिमा के शुभ अवसर और भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की उपस्थिति का उल्लेख किया। श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को याद किया और सम्राट अशोक के बेटे महेन्द्र और बेटी संघमित्रा द्वारा बौद्ध धर्म के संदेश को श्रीलंका ले जाने की बात की। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि ऐसा माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समाचार ने यह विश्वास बढ़ाया था कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है।