विद्यार्थियों को अस्वास्थ्यकर आहार से दूर रहने की सलाह देते हुए आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि हम सभी स्वास्थ्य पर फास्ट फूड के दुष्प्रभावों से परिचित हैं।उन्होंने कहा कि आयुष प्रणालियां संतुलित आहार लेने का समर्थन करती हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद है और व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखता है।वेबिनार में 7,500 से अधिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।विद्यार्थियों के बीच आयुष प्रणाली को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शुरू इस अभियान के तहत आयुष मंत्रालय का लक्ष्य अगले एक वर्ष में व्याख्यान की एक श्रृंखला के माध्यम से 75,000 शिक्षण संस्थानों से जुड़ना और विद्यार्थियों को आईईसी सामग्री का वितरण करना है।
अपने संबोधन में केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्र भाई ने कहा कि वर्तमान समय की भागा-दौड़ी वाली जीवनचर्या के कारण युवाओं और प्रकृति के बीच दूरी पैदा हुई है।आयुष प्रणालियों में ऐसी कई सरल प्रथाएं शामिल हैं, जिनके माध्यम से आप प्राकृतिक रूप से शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि शिक्षा बुद्धि को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को दुनियाभर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है और हमारी पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से क्रियाशील और कारगर है।
वेबिनार की शुरुआत में एक वीडियो दिखाया गया, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान आयुष मंत्रालय द्वारा चलाई गई गतिविधियों की जानकारी थी।इस वीडियों में दिखाया गया कि कैसे आयुष मंत्रालय ने कोविडकाल में आयुष-64 का देशभर में वितरण किया और कैसे आयुष संजीवनी ऐप के हेल्पलाइन नंबरों के ज़रिए रोगियों को विशेषज्ञों से परामर्श मिला।
प्रेजेंटेशन के माध्यम से आयुष पद्धतियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया और आयुष प्रणालियों के इतिहास की भी जानकारी दी गई।साथ ही प्रसिद्ध हस्तियों और खिलाड़ियों के वीडियो भी दिखाए गए जिन्होंने कोविडकाल में आयुष पद्धतियों को अपनाकर लाभ पाया था।इसके साथ ही वर्तमान समय की समस्याएं जैसे पीठदर्द और स्क्रीनटाइम को काम करने में कैसें आयुष औषधियां फायदेमंद हैं, यह जानकारी भी विद्यार्थियों को दी गई।
प्रेजेंटेशन में यह भी बताया गया कि आयुष चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले समय में और अधिक संभावना एंव अवसर बनने वाले हैं।जिसे चुनकर छात्र-छात्राएं अपने करियर को नई दिशा दे सकते हैं।साथ ही कोविडकाल में आयुष पद्धतियों की प्रभावशीलता के बारे में भी बतायाग या।
वेबिनार में हिस्सा लेने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए, नेशनल काउंसिल ऑफ इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन के चेयरमैन वैद्य जयंतदेव पुजारी ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए युवाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना राष्ट्र निर्माण की दृष्टि से बहुत आवश्यकहै।आयुष प्रणालियां स्वस्थ रहने
के लिए काफी कारगर हैं।इसलिए उनको अपने दैनिक जीवन में शामिल करना ज़रूरी है।हालांकि उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि आयुर्वेद को शास्त्रों और रिसर्च पेपर से समझना चाहिए न कि वॉट्सएप के माध्यम से आने वाले समाचारों से जानना चाहिए।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी ने छात्रों को बताया कि आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाकर जीवन में बहुत बड़े सुधार लाये जा सकते हैं।उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' में भी आयुष प्रणालियों की प्रशंसा की है।इसलिए स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने के लिए आयुष को अपने जीवन का हिस्सा बनाना अतिआवश्यक
है।