नई दिल्ली:पोषण माह के हिस्से के रूप में, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई)–राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) ने एसएचजी सदस्यों और उनके परिवारों के बीच अनुशंसित प्रथाओं को अपनाने के लिए व्यवहारगत बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए चुने हुए स्थानों पर खाद्य, पोषण, स्वास्य एवं वाश (एफएनएचडब्यू) से संबंधित युक्तियों के कार्यान्वयन की पहल की है। मंत्रालय पोषण अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ साझेदारी भी कर रहा है।
एचपीएसआरएलएम के सदस्य चौथा राष्ट्रीय पोषण माह मना रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान एसएचजी के सदस्यों ने आहार विविधता के महत्व पर चर्चा की और स्थानीय रूप से उगाए गए फलों और सब्जियों के उपभोग पर जोर दिया।
समग्र पोषण अभियान के लिए प्रधानमंत्री की अति महत्वपूर्ण स्कीम के तहत प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह का निर्धारण किशोरों, गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली माताओं तथा बच्चों में कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए समन्वयन तथा व्यवहारगत बदलाव को सुदृढ़ बनाने के लिए राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में किया गया है। इस वर्ष के राष्ट्रीय पोषण माह के लिए चार थीम, प्रत्येक सप्ताह के लिए एक थीम की पहचान की गई है और वे हैं- (1) ‘पोषण वाटिका’ के रूप में पौधरोपण गतिविधि, (2) पोषण के लिए योग एवं आयुष, (3) अधिक भार वाले जिलों के आंगनवाड़ी लाभार्थियों को ‘क्षेत्रीय पोषण किट’ का वितरण और (4) एसएएम बच्चों की पहचान और पोषक भोजन का वितरण। इन थीमों के साथ-साथ, मंत्रालय ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (एसआरएलएम) को आगामी त्यौहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 उपयुक्त बर्ताव को दोहराने, एसएचजी सदस्यों और उनके परिवारजनों के बीच कोविड-19 टीकाकरण को बढावा देने, स्वास्थ्य संबंधित व्यवहारों तथा प्रतिरक्षण निर्माण उपायों को बढ़ावा देने, मोटे अनाजों सहित आहार विविधता और पारंपरिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने और मोरिंगा वृक्ष रोपण पर फोकस के साथ पोषण उद्यानों को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इस संबंध में एसआरएलएम को एक परामर्शी जारी कर दी गई है।