इस जहाँ में उसी के हमेशा, कामयाबी कदम चूमती है
उक्त पंक्तियाँ भारतीय नौसेना के अफसर मणि दीक्षित पर पूरी तरह सार्थक सिद्ध होती हैं। मणि दीक्षित विगत 29 मई को नौसेना अकादमी एजिमला केरल में हुयी पासिंग आउट परेड में सब लैफ्टिनेंट बने हैं। नौसेना में अफसर बनने से मणि के परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गयी है।
बदायूँ मुख्यालय से कुछ दूरी पर बिल्सी रोड पर स्थित जहानाबाद गांव में द्वारिका प्रसाद शर्मा और राम सनेही का घर है। उनके सुपुत्र आशुतोष कुमार शर्मा अपनी धर्मपत्नी रश्मि शर्मा के साथ फरीदाबाद में रहते हैं। इनके दो पुत्र पारस दीक्षित और मणि दीक्षित हैं। बडे पुत्र पारस दीक्षित बंगलुरु में साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं। छोटे पुत्र मणि दीक्षित ने भी फरीदाबाद के अशोक मैमोरियल पब्लिक स्कूल में कक्षा 12 तक की पढ़ाई की है। मणि के अन्दर देशसेवा करने का जुनून बचपन से ही था। जब भी वह भारतीय सेना के किसी जवान को देखता था, तो उसकी छोटी छोटी आंखों में देशसेवा के बड़े-2 सपने बनने लग जाते थे। मणि के माता-पिता ने भी उसके जुनून को बरकरार रखा। अपने जिगर के टुकड़े को टीनएज में ही नौसेना अकादमी एजिमला केरल में ट्रेनिंग के लिये भेज दिया। मणि ने वहां चार वर्ष ट्रेनिंग की। मणि ने अपनी मेहनत और जुनून से पासिंग आउट परेड में सब लैफ्टिनेंट अफसर बनकर अपने परिवार, रिश्तेदारों के साथ अपने जनपद का नाम भी रोशन कर दिया। मणि ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। हर अवरोध को वह चुनौति मानकर संघर्ष करता। जिसके फलस्वरूप अब बदायूँ का मणि भारतीय नौसेना में ‘‘पारसमणि" बनकर देश की सेवा करेगा।