जबलपुरः दीपक तिवारी स्टेट रिपोर्टर चीफ/कोरोना महामारी का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल जबलपुर भेड़ाघाट की विश्व विख्यात संगमरमर की मूर्तिकला से जुड़े लोग भी इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी मूर्तिकला का यह काम पटरी पर नहीं आ पा रहा है. मूर्तिकारों को न खरीददार मिल पा रहे हैं और न ही मूर्तियों की कोई डिमांड आ रही है.
भेड़ाघाट के शिल्पकारों के हाथों की कारीगरी किसी जादू से कम नहीं है. संगमरमर पत्थर, यहां का एक विशेष दूधिया सफेद पत्थर है, जिसे धार्मिक आस्था के रूप में भी पूजा जाता है. यही वजह है कि देवी-देवताओं से लेकर विशेष मूर्तियां इसी पत्थर से बनाई जाती हैं. यहां के कारीगर अपने हुनर से इन मूर्तियों में जान फूंक देते हैं. यहां की बनी मूर्तियों की डिमांड पूरे देश और दुनिया में है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते बीते कई माह से यहां काम ठप्प पड़ा है. ऑर्डर भी नहीं मिल रहे हैं. लॉकडाउन के चलते पर्यटन की गतिविधियां भी बंद हैं, ऐसे में यहां एक भी मूर्ति नहीं बिकी है.
काम के ठप्प होने के कारण मूर्तिकला से जुड़े लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. लॉकडाउन से धार्मिक आयोजन भी बंद हैं, ऐसे में देवी-देवताओं की मूर्तियों के भी ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं. भेड़ाघाट में शिल्पकारों के करीब 150 परिवार हैं, जिनका पुश्तैनी काम पत्थरों से बनाई जाने वाली मूर्तिकला है. मूर्तियों से होने वाली कमाई से ही इनका घर चलता है, लेकिन अब कोरोना महामारी के चलते इन शिल्पकारों को हुनर को काम ही नहीं मिल पा रहा है. अब शिल्पकारों को सरकार से ही उम्मीद है. बहरहाल धीरे धीरे चीजें सामान्य हो रही हैं तो उम्मीद की जा रही है कि इन शिल्पकारों का आर्थिक संकट भी दूर होगा