नई दिल्ली: रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय विधि एवं न्याय, संचार, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, ने आज, 25 जून, 2021 को शाम 04.00 बजे नई दिल्ली में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के ई-फाइलिंग पोर्टल ‘ई आईटीएटी ई-द्वार’ की औपचारिक शुरुआत की।
पोर्टल को शुरू करते हुए मंत्री ने डिजिटल इंडिया की शक्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया का अर्थ है एक आम भारतीय को प्रौद्योगिकी की ताकत के साथ सशक्त बनाना– डिजिटल सुविधा रखने वाले और नहीं रखने वालों के बीच में मौजूद डिजिटल बंटवारे को खत्म करना, प्रौद्योगिकी के जरिए प्राप्त डिजिटल एकीकरण की ओर बढ़ना है, जो कम खर्चीला, स्वदेश में विकसित और विकासात्मक है। डिजिटल इंडिया का अर्थ प्रौद्योगिकी की शक्ति से भारत को बदलने की एक रूपरेखा है। उन्होंने रेखांकित किया कि लगभग 129 करोड़ भारतीय आबादी का आधार के लिए नामांकन है, जो किसी व्यक्ति की भौतिक पहचान को पूरा करने वाली डिजिटल पहचान है। गरीबों के लिए लगभग 40 करोड़ बैंक खाते खोले और आधार से जोड़े गए हैं। डिजिटल इंडिया की ताकत का उपयोग करते हुए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के रूप में गरीबों के खातों में लगभग 16.7 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं, जिससे 1.78 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है, अन्यथा उसे बिचौलिए निकाल ले जाते। डिजिटल इंडिया ने हमारे देश को डिजिटल भुगतान के मामले में विश्व में अग्रणी स्थान दिलाया है। इस बात को भी रेखांकित करने की जरूरत है कि आधार, डीबीटी, यूपीआई और स्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत, सभी ‘मेड इन इंडिया’ हैं। डिजिटल इंडिया की एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि कॉमन सर्विस सेंटर्स की स्थापना है, जो 2014 में सिर्फ 75,000 थे, अब 4 लाख हैं। सीएससी कई सेवाएं देते हैं, जो नागरिक केंद्रित हैं और मंत्री ने सुझाव दिया कि सीएससी के जरिए, वकीलों को टेली लॉ कार्यक्रम के माध्यम से जरूरतमंदों को कानूनी सलाह देने से स्वयं को जोड़ना चाहिए। पिछले 4 वर्षों के दौरान टेली लॉ के माध्यम से लगभग 9 लाख परामर्श दिए गए।
मंत्री ने विस्तार से बताया कि कैसे महामारी और लॉकडाउन के दौरान न्यायपालिका ने डिजिटल साधनों के माध्यम से काम किया और एक करोड़ से ज्यादा मामलों की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) में 18 करोड़ से अधिक मामलों के बारे में आंकड़े उपलब्ध हैं और उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आईटीएटी के मामलों को भी एनजेडीजी में एकीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 800 से ज्यादा जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, ताकि विचाराधीन कैदी, पुलिस की ओर से उन्हें भौतिक तौर पर अदालतों में लाए बगैर, अदालतों में पेश होने में सक्षम हो पाएं।
उन्होंने आगे सचेत किया कि आईटीएटी की इस पहल को एक अकेले कदम के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसकी जगह पर, इसे परिवर्तन के एक व्यापक विमर्श के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे डिजिटल माध्यम के जरिए देश गुजर रहा है। यह नवाचार और सशक्तिकरण सक्षम बनाता है और विकास के नए रास्ते खोलता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘ईटीएटी ई-द्वार’ को वकीलों और कर वादकारियों की ओर से बड़े पैमाने पर समान रूप से स्वीकार किया जाएगा।
इस अवसर पर, राष्ट्रीय स्तर पर एक वर्चुअल समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सभी 28 स्टेशनों से आईटीएटी के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस वर्चुअल फंक्शन में विभिन्न बार एसोसिएशन के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इसमें देश भर से आयकर विभाग के अधिकारियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट, करदाताओं और कर क्षेत्र से जुड़े अन्य विधि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर, उपस्थित लोगों को जस्टिस पी.पी. भट्ट, आईटीएटी के अध्यक्ष, ने बताया कि ई-फाइलिंग पोर्टल ‘ईटीएटी ई-द्वार’ की शुरुआत पहुंच, जवाबदेही और आईटीएटी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाएगी। इससे न केवल कागज का उपयोग कम होगा, खर्च बचेगा, बल्कि मामलों को सही करने का तार्किकीकरण होगा, जिससे मामलों के त्वरित निपटान को बढ़ावा मिलेगा। इस अवसर पर, न्यायमूर्ति भट्ट ने आईटीएटी की दिल्ली बेंच में एक पायलट परियोजना की शुरुआत करते हुए आईटीएटी में पेपरलेस अदालतें बनाने की योजना की घोषणा भी की। यह भी बताया गया कि महामारी के समय में भी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के साधनों का इस्तेमाल करके, आईटीएटी की विभिन्न पीठों ने काम किया और न्यायिक कामकाज की अपनी गतिविधियों को बनाए रखा। यह भी जानकारी दी गई कि पीठों के सीमित कामकाज के बावजूद, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को अपनाए जाने 1 अप्रैल, 2020 को 88,000 मामलों की तुलना में लंबित मामले घटकर लगभग 64,500 हो गए हैं।
नया बना ई-फाइलिंग पोर्टल विभिन्न पक्षों को अपनी अपीलों, विविध आवेदनों, दस्तावेजों, पेपर बुक्स इत्यादि को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पेश करने में सक्षम बनाएगा।
इस अवसर पर, श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ता, केंद्रीय विधि सचिव ने भी