यज्ञ से होता है पर्यावरण शोधन मानसिक विकृतियां और दुर्बलताएं होती हैं दूर: संजीव

बदायंू: शांतिकंुज हरिद्वार के मार्गदर्शन में सूक्ष्म जगत के परिशोधन के लिए विभिन्न स्थानों पर गायत्री महायज्ञ हुआ। आत्मीय परिजनों ने यज्ञ भगवान को देशवासियों के सर्वोत्तम स्वास्थ, सैनिकों, डाॅक्टरों के लिए नई शक्ति के संरचार, ईश्वरीय सत्ता के संरक्षण और कोरोना महामारी को जड़मूल से समाप्त करने के लिए यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्यंुजय मंत्र की विशेष आहुतियां समर्पित की। 
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि यज्ञ में पर्यावरण के शोधन और बुद्धि को शुद्ध करने की अपूर्व क्षमता होती है। नियमित यज्ञ करने से आरोग्य प्राप्त होता है, मानसिक विकृतियां और दुर्बलताएं दूर होती हैं। 
निर्मल गंगा जन अभियान के सुखपाल शर्मा ने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का मूल और ऋद्धि सिद्धियों का केंद्र है। यज्ञ से मनःशुद्धि और आत्मबल की वृद्धि होती है। आध्यात्मिक चिंतन प्रखर हो जाता है। 
अलापुर, दबिहारी, उझानी, औहरामई, छतुईया, बमनौसी, गढ़ी आदि विभिन्न स्थानों पर गायत्री महायज्ञ हुआ। आत्मीय परिजनों ने यज्ञ भगवान से देशवासियों पर कहर बनकर आईं कोरोना महामारी को जड़मूल से समाप्त करने और सभी के अच्छे स्वास्थ की कामना की। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां यज्ञ भगवान को समर्पित कीं। इस मौके पर अजीत यादव, सुनहरी यादव, भवेश शर्मा, हेमंत, दीप्ति, भूमि शर्मा आदि मौजूद रहे।