नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोरोना वायरस कहर जारी है। हर बीतने वाले दिन के साथ स्थिति बिगड़ती ही जा रही है। कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, दवाइयों की कमी पड़ने लगी है, अस्पतालों में जगह नहीं है, ऑक्सीजन तलाशने से भी नहीं मिल रही और प्रशासन है कि उसकी कमियों का कोई छोर नजर नहीं दे रहा। ऐसे में दादरी ब्लॉक के खदेड़ा गांव में करोड़ों रुपये खर्च करके बना अस्पताल अपनी बदहाली का रोना रो रहा है इस अस्पताल पर तीन साल से ताला लगा हुआ है। यहां पर एक कमरे को छोड़कर बाकी खोले ही नहीं गए हैं।लोगो का कहना है कि इसकी दशा को सुधार करोना की लड़ाई इस्तेमाल किया जा सकता था अगर यह अस्पताल शुरू हो जाए तो आसपास के करीब 10 गांवों के लोगों को राहत मिल सकती है।
दादरी ब्लॉक के खदेड़ा गांव में तीन साल पहले बना सरकारी अस्पताल हालत जिले के स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल रही है। यहाँ सरकार ने 20 कमरों का अस्पताल बना दिया। लेकिन यहां पर एक भी डॉक्टर नहीं है। पिछले 3 साल से एक कमरे को छोड़कर आज तक कोई कमरा खुला ही नहीं है। जबकि, अस्पताल की क्षमता आसपास के लगभग 10 गांवों के मरीजों की देखभाल करने की है। लेकिन, प्रशासन की अनदेखी के कारण स्थिति यह हो गई है कि अस्पताल परिसर में घास-फूंस जम गई है, जिले में जहां लोग अस्पतालो में बेड पाने के लिए जद्दोजहद कर है वही इस अस्पताल में बने 20 और उनमे रखे बेड जंग खा रहे है। और स्थानीय लोगों को इलाज के लिए दादरी का चक्कर काटना पड़ता है इसको लेकर ग्रामीण कई बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं, परन्तु आज तक कुछ नहीं हुआ। स्थानीय लोगों को कहना है कि इसे सिर्फ कागजों में ही अस्पताल कहा जा सकता है, इसके अलावा तो यह एक ईंट और सीमेंट का ढांचा बनकर रह गया है।
बाइट : ग्रामीण
बाइट : ग्रामीण
जिला स्वास्थ्य विभाग कोरोना का पहला केस मिलने के करीब एक साल बाद भी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को इस काबिल नहीं कर पाया कि वह मरीजों को अस्पताल में बेड, जरूरी दवाइयां, ऑक्सीजन, प्लाज्मा आदि मुहैया करा पाए। ऐसे में जिलों में कई अस्पताल है जिनकी दशा को सुधार करोना की लड़ाई इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन आज तक कभी भी इन अस्पताल की ओर प्रशासन ने मुड़कर नहीं देखा। ग्रामीणों ने मांग की है कि इसको कोविड अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके शुरू होने से आसपास के 10 गांवों के मरीजों को लाभ मिल सकता है।