केजरीवाल सरकार का बड़ा ऐलान:कैबिनेट में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन को मंजूरी tap news india

tap news India deepak tiwari 
नई दिल्ली. दिल्ली की केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने शनिवार को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद इसका ऐलान किया। उन्होंने बताया कि 2021-22 के एकैडमिक ईयर में दिल्ली के 20-25 स्कूलों में इसमें शामिल किया जाएगा।
पिछले साल दो समितियों का गठन किया था
दिल्ली सरकार ने पिछले साल राज्य शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधारों के लिए योजना एवं रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था। इस पर चर्चा के बाद दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने खुद के शिक्षा बोर्ड को हरी झंडी दिखा दी।
प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर देंगे : केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में करीब एक हजार सरकारी और 1700 प्राइवेट स्कूल हैं। सभी सरकारी स्कूल और अधिकतर प्राइवेट स्कूलों फिलहाल CBSE बोर्ड से जुड़े हुए हैं। हम शुरुआत में कुछ स्कूलों में दिल्ली बोर्ड के तहत पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि इसमें रट्‌टा मारने नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों को दिल्ली बोर्ड से जोड़ा जाएगा, उनकी CBSE की मान्यता समाप्त हो जाएगी। प्रिंसिपल, टीचर्स और पैरेंट्स से बात करने के बाद ही स्कूलों का चयन किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 4-5 सालों में दिल्ली के सभी स्कूल इस बोर्ड से जुड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बोर्ड के लिए गवर्निंग बॉडी बनाई जाएगी। उसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्री करेंगे। इसके डे-टू-डे फंक्शन के लिए एक एग्जीक्यूटिव बॉडी भी होगी, जिसे CEO हेड करेंगे। दोनों ही बॉडी में इडंस्ट्री, एजुकेशन सेक्टर के एक्सपर्ट, सरकारी-निजी स्कूल के प्रिंसिपल और ब्यूरोक्रेट्स शामिल किए जाएंगे।
रोजगार के लिए धक्के नहीं खाने पड़ेंगे : केजरीवाल
उन्होंने कहा कि अब ऐसी एजुकेशन तैयार की जाएगी, जिससे पढ़ाई के बाद बच्चों को रोजगार के लिए धक्के ना खानी पड़े। आज पूरी शिक्षा तंत्र रटने पर जोर देता है, जिस बदलकर समझने पर जोर देना पड़ेगा।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट से बेहतर
उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे 98% आने लगे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से अच्छे आने लगे हैं। जो पैरेंट्स पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते थे, वे अपने बच्चों का भविष्य अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुरक्षित मानते हैं। ऐसे में यह वक्त आ गया है कि अब यह तय किया जाए कि स्कूल में क्या पढ़ाया जा रहा है और क्यों पढ़ाया जा रहा है? इसलिए अब हमें ऐसे बच्चों को तैयार किए जाने की जरूरत है, जो देशभक्त हो और हर क्षेत्र की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने को तैयार हो।