तिरुअनंतपुरम. देश की पहचान अब सर्फिंग हब के तौर पर भी होने लगी है। इन दिनों केरल के वर्कला और कोवलम बीच पर 30-40 विदेशी खिलाड़ी ऊंची समुद्री लहरों में कलाबाजी करते नजर आ रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर जोंटी रोड्स यहां विशेष रूप से सर्फिंग के लिए आते हैं। वे कोवलम पर जल्द एकडेमी शुरू करने वाले हैं।
भारत में सर्फिंग के दीवाने बढ़ने की उम्मीद
कोवलम सर्फ क्लब स्थानीय बच्चों को निशुल्क सर्फिंग सिखाता है। क्लब के फाउंडर पुर्तगाली सर्फर जेली रिगोले कहते हैं, ‘मैं 10 साल पहले कोवलम आया था। वर्कला और कोवलम बीच की ऊंची लहरों को देखकर मैंने यहां सर्फिंग की सुविधाओं के बारे में पता किया। पर मुझे यहां कोई क्लब या सर्फर नहीं मिला। जल्द ही मैंने दोस्तों से सर्फबोर्ड जुटाए और यहां बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया।
मैं घर-घर जाकर लोगों से बच्चों को भेजने के लिए गुजारिश करता था, लेकिन बच्चों के डूबने के डर से लोग मना कर देते थे। हालांकि, मुझे खुशी है कि अब तस्वीर बदल गई है। पुडुचेरी बीच, कर्नाटक में मंगलौर का बीच मुल्की, केरल का कोवलम और वर्कला बीच भारत के सर्फिंग हब में बदल चुके हैं। सर्फिंग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार भी मदद कर रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले सालों में भारत में सर्फिंग के दीवाने तेजी से बढ़ेंगे।’
केरल में बेखौफ सर्फिंग करो, क्योंकि यहां शार्क नहीं
वर्कला बीच में सर्फिंग के ट्रेनर बी राहुल कहते हैं, ‘देश में सर्फिंग का आकर्षण बढ़ने की कई वजह हैं। यहां के पानी में शार्क मछली नहीं हैं। ऑस्ट्रेलियाई तटों की तरह न ही बहुत गर्मी है। बाली, श्रीलंका, इंडोनेशिया और पुर्तगाल की तुलना में यहां सर्फिंग करना काफी सस्ता भी है।
यहां भीड़ भी नहीं होती
इंग्लैंड के सर्फर जेमी मिशेल कहते हैं, ‘वर्कला बीच अब तक अछूता था। यहां सर्फर को पर्याप्त जगह मिलती है। यह दूसरे भीड़भाड़ वाले तटों में संभव नहीं होता है। 1.5 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं, जो सर्फिंग सीखने के लिए बेहद मुफीद है। यहां सितंबर से मई का सीजन सबसे अच्छा होता है। मानसून में कुछ दिक्कतें आती हैं। केरल के टूरिज्म सचिव रानी जार्ज कहती हैं कि हम सर्फिंग के लिए कन्नूर बीच को भी विकसित कर रहे हैं।