पुणे.tap news India deepak tiwari महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले रेवन शिंदे 12वीं तक पढ़े हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए उन्हें कम उम्र में ही नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ा। एक साल पहले तक वे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। 12 हजार रुपए महीना सैलरी थी। आज वे चाय की होम डिलीवरी का बिजनेस करते हैं। हर दिन एक हजार से ज्यादा उनके पास ऑर्डर आते हैं। इससे हर महीने 2 लाख रुपए से ज्यादा उनकी कमाई हो रही है।
28 साल के शिंदे बताते हैं कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता जी कारपेंटर थे, इसलिए 12वीं के बाद मुझे नौकरी के लिए पुणे आना पड़ा। 2009 में एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई। सैलरी कम जरूर थी, लेकिन जैसे-तैसे करके परिवार का खर्च चलता था। इस बीच दिसंबर 2019 में कंपनी ने काम बंद कर दिया और मेरी नौकरी चली गई। इसके बाद कई दिनों तक मैं इधर-उधर अप्लाई करता रहा, लेकिन कहीं से पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। फिर घर का खर्च चलाने के लिए एक स्नैक्स सेंटर पर काम करने लगा। हालांकि यहां भी आमदनी कम ही हो रही थी।
लॉकडाउन में बंद हो गई दुकान
इसके बाद शिंदे ने खुद का काम शुरू करने का फैसला लिया और पुणे में मार्च 2020 में किराए पर एक रूम लेकर चाय की दुकान खोली, लेकिन मुसीबत ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। अभी दुकान खुले कुछ ही रोज बीते होंगे कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी। जो कुछ भी सेविंग्स थी, सब दुकान में लग गई थी। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी उनके सामने संकट खड़ा हो गया।
इसके बाद जून में उन्होंने फिर से अपनी दुकान खोलने की कोशिश की। हालांकि तब भी लोग दुकानों पर जाने से बच रहे थे। संक्रमण के डर से लोग ऐसा करते थे। इस मुसीबत से निकलने के लिए उन्होंने चाय पार्सल करने का निर्णय लिया।
मुफ्त में चाय पार्सल करना शुरू किया
शिंदे बताते हैं कि मैंने एक बड़ा-सा थर्मस खरीदा और चाय बनाकर बैंक में काम करने वाले और पास की कुछ बड़ी दुकानों में गर्म चाय लेकर पहुंचाने लगा। शुरुआत में सभी को मुफ्त में ही चाय की पेशकश की, क्योंकि मैं चाहता था कि लोग पहले इसे आजमाएं। इस तरह एक महीने तक मैं मुफ्त में लोगों तक चाय पहुंचाता रहा। इस इनिशिएटिव का उन्हें फायदा भी हुआ।
शिंदे कहते हैं कि जिन लोगों को मैंने चाय पिलाई, उन्हें मेरा काम पसंद आया और वे मुझसे रेगुलर चाय की डिमांड करने लगे। इस तरह धीरे-धीरे मेरे कस्टमर्स बढ़ते गए। और जल्द ही मेरा काम वापस ट्रैक पर आ गया।
शिंदे अभी अदरक और इलायची फ्लेवर में दो तरह की चाय सप्लाई कर रहे हैं। छोटे कप की कीमत 6 रुपए और बड़े कप की कीमत 10 रुपए है। इसके साथ ही वे गर्म दूध की भी होम डिलीवरी करते हैं। रोजाना करीब एक हजार कप चाय वे बेच देते हैं। इससे 7 से 8 हजार रुपए दिन का बिजनेस हो जाता है। डिलीवरी के लिए उन्होंने पांच लड़कों को हायर किया है। वे चाय की डिलीवरी के साथ-साथ चाय बनाने का भी काम करते हैं। इसके लिए शिंदे ने उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी है।
फोन पर ऑर्डर 10 मिनट में डिलीवरी
शिंदे और उनकी टीम रोज सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 3 बजे से शाम 7 बजे तक पिंपरी के आसपास के इलाकों में चाय सप्लाई करती है। वे कई बड़ी कंपनियों में चाय की रेगुलर डिलीवरी करते हैं। कई लोग उनके परमानेंट कस्टमर भी बन गए हैं। इसके साथ ही वे ऑन डिमांड भी चाय की डिलीवरी करते हैं। इसके लिए बस एक फोन कॉल की जरूरत होती है। फोन पर ऑर्डर मिलने के 10 मिनट के भीतर उनके आदमी चाय की डिलीवरी कर देते हैं। इसके लिए उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया है। अपने फोन नंबर्स उन्होंने सभी प्रमुख जगहों पर सर्कुलेट कर दिया है। ताकि जिसे जरूरत हो, वो ऑर्डर कर सके।
आगे हर दिन दो लाख ऑर्डर का है टारगेट
शिंदे कहते हैं कि लोग हमारे काम को पसंद कर रहे हैं। हर दिन डिमांड भी बढ़ती जा रही है, इसलिए अब हम अपने काम का दायरा बढ़ाना चाहते हैं। जल्द ही हम सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं। इसको लेकर मेरी टीम लगातार काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि हम दो लाख लोगों तक पहुंचे। जरूरत पड़ने पर टीम और चाय की वैरायटी भी हम बढ़ाएंगे।