इंदौर. नशे की लत इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है। इसी का एक जीता-जागता उदाहरण हैं रमेश यादव। ये करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन दो साल से भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं। फिलहाल केंद्र सरकार की दीनबंधु पुनर्वास योजना के तहत भिक्षुकों और बेसहारा लोगों के लिए पंजाब अरोड़वंशी धर्मशाला के शिविर में रह रहे हैं।
परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशन सोसायटी प्रवेश संस्था की हेड रूपाली जैन ने बताया कि रमेश यादव काे हमारी टीम इंदाैर वायर चाैराहा स्थित कालका माता मंदिर के पास से लेकर आई थी। ये दाे साल से वहां पर रहकर भिक्षावृत्ति कर रहे थे। इन्हाेंने शादी नहीं की है, इसलिए इनका खुद का ताे काेई परिवार नहीं है, लेकिन भाई-भतीजे जरूर हैं।
टीम जब इनके घर पर पहुंची और उनके कमरे का इंटीरियर देखा तो यहां पर करीब चार लाख रुपए का सामान लगा मिला। इसमें एसी सहित सभी सुख-सुविधा की वस्तुएं मौजूद हैं। इनकी एक आदत ने सड़क पर भीख मांगने को मजबूर कर दिया। वह थी इनके शराब पीने की आदत।
यादव के नाम पर एक बंगला है, साथ ही 15 बाय 50 फीट का एक प्लाॅट भी है। यदि संपत्ति की बात करें तो वे वैसे तो करोड़पति हैं, लेकिन सीधी आय नहीं होने से वे मंदिर में बैठकर भीख मांगने लगे और उससे मिले रुपयों से नशा करते थे। टीम ने जब यादव की काउंसिलिंग की तो उन्होंने शराब नहीं पीने की बात कही है। वे बोले कि अब घर पर रहकर काम करेंगे। परिवार के लोग इसलिए खफा थे कि इनके शराब पीने से उनकी बदनामी होती है। वे कहते हैं कि इनकी शराब आप छुड़वा दीजिए हम, इनका हम पूरा ध्यान रखेंगे। यादव में अब काफी सुधार है। शुरुआत में वालंटियर से भी वे शराब मांगते थे। धीरे-धीरे कमी आई है।
शिविर में अब तक 109 ऐसे लोगों को लाया गया है जो या तो भिक्षावृत्ति करते हैं या बेसहारा सड़कों पर रहते हैं। कई लोगों को उनके परिवारों ने नकार दिया। वहीं, यहां कुछ ऐसे भिक्षुक भी हैं, जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। जैन के अनुसार रेस्क्यू किए गए 90 फीसदी लोग नशे के आदी हैं। फिर चाहे वह पाउडर का नशा हो, शराब का नशा हो, किसी ना किसी तरह का नशा वे करते ही रहते थे। शुरुआत के दो दिनों तक तो बेचैन थे। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो नशे के बिना रह रहीं पा रहे हैं, इसलिए उन्हें नशा मुक्ति केंद्र छोड़ने की तैयारी हो रही है। हमने रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। रिपोर्ट में आदतन भिखारी, वंशानुगत भिखारी और माफिया गैंग तक निकले हैं। हमने चाैराहों पर भीख मांगते दिखने वालों की भी रिपोर्ट तैयार की है।
शिविर में गोल्ड कॉइन सेवा ट्रस्ट, परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशन सोसायटी प्रवेश संस्था, निराश्रित सेवाश्रम एनजीओ के माध्यम से शहर के भिक्षुकों के लिए यहां पर शिविर लगाया गया था। संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा इन भिक्षुकों और बेसहारा लोगों की लगातार काउंसलिंग की जा रही है कि वह भिक्षावृत्ति को छोड़ दें। शिविर में ऐसे भिखारियों को उपचार के लिए अरविंदो हॉस्पिटल भेजा जा रहा है, जिन्हें किसी तरह की बीमारी है। शिविर में अब तक 109 ऐसे लोगों को लाया गया है जो या तो भिक्षावृत्ति करते हैं या बेसहारा होकर सड़कों पर रहते हैं। शिविर में उन्हें दोनों समय स्वादिष्ट भोजन के साथ ही चाय नाश्ता और ज्यूस आदि दिया जा रहा है।
एनजीओ के पदाधिकारियों ने बताया कि इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की पहल पर इस शिविर का आयोजन किया गया है। नगर निगम के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि जिन भिक्षुकों के परिवार हैं, उन्हें परिवार में पहुंचाया जाए और जो निराश्रित हैं उन्हें विभिन्न आश्रमों में रखा जाएगा। जो लोग कुछ काम कर सकते हैं, उन्हें एनजीओ की मदद से किसी काम में लगाया जाएगा।
इंदौर संभाग में करीब 500 भिक्षुकों, निराश्रितों तथा असहाय बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ
इंदौर संभाग में भिक्षुकों, निराश्रितों तथा असहाय बुजुर्गों की सहायता एवं उनके कल्याण के लिए संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के निर्देश पर अभियान दीनबंधु शुरू किया गया है। संभाग में अभी तक लगभग 500 असहाय बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। इनमें से करीब 100 अस्वस्थ पाए गए हैं, जिनका नि:शुल्क उपचार किया गया। वहीं, जीवनयापन के लिए 36 भिक्षुकों, निराश्रितों तथा असहाय बुजुर्गों को पेंशन स्वीकृत की गई है। अभियान के तहत संभागभर में ऐसे लोगों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के आधार पर उन्हें चिन्हित कर सूची बनाई गई है।
संभाग में अभी तक ऐसे 911 भिक्षुक चिन्हित किए जा चुके है, जिन्हें आवश्यकता के अनुसार मदद दी जा रही है। इनमें 428 महिला, 470 पुरुष और 13 बच्चे शामिल हैं। इन सबका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। परीक्षण के दौरान लगभग 100 भिक्षुकों, निराश्रितों तथा असहाय बुजुर्गों को नि:शुल्क उपचार दिया गया। संभाग में 58 लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ पाए गए हैं। संभाग में ऐसे लोगों को आश्रय गृह, रैन बसेरा, वृद्धाश्रम, भिक्षुक गृह सहित अन्य शासकीय स्थान पर ठहराने की व्यवस्था की गई है।