नोएडा, स्थाई व सम्मानजनक रोजगार की माँग को लेकर नोएडा गौतम बुध नगर के मजदूरों, छात्रों व नौजवानों, महिलाओं के संगठनों ने श्रम कार्यालय सेक्टर- 3, नोएडा पर प्रदर्शन करने का कार्यक्रम तय किया हुआ है उक्त की तैयारी के लिए सीटू जिला कमेटी गौतम बुध नगर जनपद में व्यापक अभियान चला रही है उक्त अभियान के तहत-रोजगार के अधिकार को बनाएं मौलिक अधिकार बनवाने व-5000 रु0 मासिक का बेरोजगारी भत्ता और भगत सिंह शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाओ आदि मुद्दों पर बोलते हुए सीटू गौतम बुध नगर जिला अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि पिछले एक साल से रोजगार की लगातार चरमराती व्यवस्था आज भयावह रूप ले चुकी है। 2008 के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से शुरू हुआ रोजगार संकट, नोटबन्दी, जीएसटी व कोरोना के दौरान बिना तैयारी के थोपे गए लॉकडाउन जैसी सत्यानाशी नीतियों के चलते बद से बदतर हो चुका है। श्रम मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले श्रम शक्ति की समयबद्ध रिपोर्ट (2019) के मुताबिक देश में बेरोजगारी 45 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट के सर्वे के मुताबिक 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच देश में हर साल औसतन 26 लाख नौकरियां खत्म हुई। कोरोना लॉकडाउन के दौरान खत्म हुई नौकरियों के आंकड़ा तो और भी खतरनाक है। ब्. ड. प्. म्. नाम की संस्था की गणना के मुताबिक संगठित क्षेत्र में 147 लाख नौकरियां खत्म हुई, जिसमें से 95 लाख ग्रैजुएट व पोस्ट-ग्रैजुएट हैं। यह पूरे रोजगार में लगे श्रम शक्ति का लगभग 13 फीसदी है। ऐसे में सरकार का काम होना चाहिए था कि अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाए जिससे रोजगार सृजन हो सके। पर, इसके उलट सरकार खुद खर्चे कम करने के नाम पर रोजगार खत्म कर रही है। बीएसएनएल व अन्य सरकारी संस्थान, केंद्र सरकार, रेलवे आदि में हम यही देख सकते हैं। इसके साथ ही सरकार विभिन्न संस्थानों व क्षेत्रों के विनिवेश करने और देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों को सौंपने की तरफ आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रही है, जिसका रोजगार पर एयर गलत असर पड़ेगा। सरकार की नीतियां ही स्थाई व सम्मानजनक रोजगार देने के खिलाफ जाती हैं। अपरेंटिस एक्ट में संशोधन तथा नेशनल अप्रेंटिस प्रोमोशन स्कीम ऐसे नीतिगत कदम हैं जो स्थाई रोजगार के बदले अस्थाई रोजगार को आम बना देगा। यही रुख 4 लेबर कोड कानूनों तथा पिछले साल लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी देखनी को मिलती है।
हाल के दिनों में हमने देखा है कि किस तरह हालात को बेहतर बनाने के लिए नौजवान सड़कों व सोशल मीडिया पर उतर रहे हैं। यह वक्त की माँग है कि बढ़ती बेरोजगारी और अस्थाई रोजगार से प्रभावित सभी हिस्से स्थाई व सम्मानजनक रोजगार सृजन करने वाली ठोस नीतियों की माँग करने के लिए साथ आएं। राष्ट्रीय राजधानी समेत पूरे देश में इस माँग को आगे बढ़ाने के लिए हम सभी संगठनों के कार्यकर्ता एक साथ आये हैं।
सभी के लिए रोजगार अभियान में सी.आई.टी.यू., डीवाईएफआई व एससफआई एवं जनपद में कार्यरत इंटक, एटक, हिंद मजदूर सभा, ऐक्टू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, टीयूसीआई, यू पी एल एफ, एच एम के पी, बी एल यू, नोएडा कामगार महासंघ, श्रमिक वेलफेयर एसोसिएशन, भारतीय श्रम सभा आदि मजदूर संगठनों की कमेटियों ने जिले में अभियान की माँगों के साथ पर्चा वितरण व प्रचार कर रहे हैं। हमारे 12 सूत्रीय माँगपत्र के समर्थन में औद्योगिक इलाकों में मजदूरों, रेहड़ी-पटरी कर्मी, सेवा क्षेत्र के कर्मचारी, छात्र व नौजवानों की जन सभाएँ हो रही हैं, जिन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है।
अभियान के पहले चरण का समापन 25 मार्च 2021 को प्रातः 11:00 उप श्रम आयुक्त कार्यालय गौतम बुध नगर सेक्टर 3 नोएडा पर प्रदर्शन के रूप में होगा। मजदूर संगठन 12 सूत्रीय माँगपत्र के साथ ज्ञापन प्रधानमंत्री व केंद्रीय श्रम मंत्री को सौंपेंगे। प्रदर्शन को कामयाब बनाने के लिए हम आम जनता से अपील करते हैं कि ‘‘रोजगार को बनाएं मौलिक अधिकार‘‘ के नारे के पीछे लामबंद होते हुए इस प्रदर्शन व अभियान का हिस्सा बनें।
हमारी माँगें:-
1. रोजगार पाने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करो। भगत सिंह राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी कानून (भ. सिं. रा. श. रो. गा. का.) को लागू करो। इसके अंर्तगत कामगारों ध्श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी दर पर कम से कम 200 दिनों के रोजगार की गारंटी करो। रोजगार न मिलने पर बेरोजगारों को 5000 रु. का बेरोजगारी भत्ता दो।
2. भ. सिं. रा. श. रो. गा. का. के प्रभावी कार्यान्वन के लिए, रोजगार करने योग्य सभी युवाओंध्कामगारों (स्थानीय व प्रवासी) को एक राष्ट्रीय व राज्य स्तर पंजीकरण कर सूचीबद्ध करो। इसमें अतिकुशल, कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों को अलग से श्रेणीबद्ध करो।
3. 21,000 रुपए मासिक न्यूनतम वेतन घोषित करो। इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ा जाए।
4. सरकार, प्राधिकरण व नगर निगम व निजी क्षेत्र में ठेका, आकस्मिक रोजगार और सरकारी कल्याणकारी योजनायें (आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील कामगार), शिक्षा व बाल-मजदूरों के विद्याालयों सहित और अन्य सेवाओं के तहत सभी कार्यरत कर्मियों को नियमित करो। उनके लिए न्यूनतम वेतन व समाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करो ।
5. 2019 से केन्द्र व राज्य में खाली पड़े 60 लाख सरकारी पदों पर तत्काल भर्तियां शुरू करो। इन भर्तियों में एस. सी., एस. टी., ओ. बी. सी. के लिए तय आरक्षित पदों को भी अविलम्ब भरो। इसमें महिलाओं को समान अवसर सुनिश्चित करो। सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करो।
6. साप्ताहिक काम की समय-सीमा को 35 घंटे सीमित करो व 4 शिफट का कार्य दिवस को लागू करो। इससे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
7. सभी सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल व नर्सिंग होम में कांट्रैक्ट पर रखे गए नर्सों व अन्य स्टाफ की नौकरियों को नियमित करो। 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार नर्सों को प्रति माह न्यूनतम वेतन 20,000 रु. का भुगतान किया जाए।
8. शहर में पर्याप्त, सुरक्षित, स्वच्छ वेंडिंग जोन बनाए जाए। पुलिस या नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जबरन वसूली को रोकने के लिए कड़े इंतजाम करें। पथ विक्रेताओं (स्ट्रीट-वेंडर) को कॉर्पोरेट सुपरमार्केट के कम्पटीशन एवं बेदखली से बचाने का इंतजाम करें।
9. ओला-उबर-स्विीगी-जमेटो जैसे आॅन-लाइन प्लेटफार्म के जरिए काम करने वाले कामगारों के काम से जुड़ी अनिश्चितताओं को दूर करने हेतु अलग कानून बनाओ।
10. डोमेस्टिक वर्कर्स का वेतन, काम के घंटे, साप्ताहिक छुटटी, नोटिस- पे, ईलाज व पेंशन कानूनी प्रावधान बना सुनिश्चित किया जाए।
11. साईकिल रिक्शा, ई-रिक्शा, आॅटो रिक्शा, टैक्सी चालक को ईलाज, पेंशन, दुघर्टना बीमा, मृत्यु बीमा कानूनी प्रावधान बना सुनिश्चित किया जाए।
12. विद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का विस्तार करो, गुणवत्ता। ईन्टर्नशिप के दौरान तय न्यूनतम वेतन का आधा बतौर अलाउंस दिया जाए। सी.बी.एस.ई. में परीक्षा शुल्क समाप्त करो।