गाजियाबाद। मशहूर शायर विज्ञान व्रत ने अपने दोहों और शेरों से "महफ़िल ए बारादरी" के वसंतोत्सव को यादगार बना दिया। कार्यक्रम अध्यक्ष विज्ञान व्रत ने अपने दोहों "आंखों आंखों पढ़ लिया, आंखों का मजमून, आंखों आंखों हो गए दो चेहरे बातून" और "छू गोरी के गाल को, ऐसा हुआ निहाल, बौराया उड़ता फिरा सालों साल गुलाल" पर जमकर वाहवाही बटोरी। उन्होंने कहा कि आयोजन बता रहा है कि "बारादरी" ने अपने नाम को सार्थक कर दिया है।
नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित महफिल में विज्ञान व्रत ने अपने शेरों "तुझसे जितनी बार मिला हूं, पहली-पहली बार मिला हूं", "ख़ुद को देख रहा हूं तबसे, उसने मुझको देखा जबसे", "मुझ पर कर दो जादू टोना एक नज़र ऐसे देखो ना", "बादल हो तुम या खुशबू हो, बरसो खुल कर या बिखरो ना" पर जमकर दाद बटोरी। मुख्य अतिथि बी. एल. गौड़ ने प्रेम को परिभाषित करते हुए फरमाया "प्यार वही जो चलकर आए, आ कर गले मिले, फिर दोनों को लगे कि हम सदियों बाद मिले।" विशिष्ट अतिथि सिया सचदेव नै कहा "जो जिम्मेदारियां किस्मत ने मेरे सर रख दीं, तो फिर नज़ाकतें मैंने उठा कर घर रख दीं", "सीख कर आते हैं किस शहर से अय्यारी लोग, किस कदर करते हैं इश्क में अदाकारी लोग।" गोविंद गुलशन ने भी अपने शेरों "सहर से मुलाकात चाहता है यह चराग, तभी तो रोज़ नई रात चाहता है चराग", "हवा भी साथ अगर दे एतराज़ है क्या, मुखालफत ही सही, साथ चाहता है चराग," "बुझा दिया है यही सोचकर हवा ने उसे, सुकून के लिए लम्हात चाहता है चराग" से महफिल को और बुलंद किया।
मासूम गाजियाबाद ने कहा "उसूली, अदबी, तहज़ीबी, रूहानी कौन देखेगा, नुमाइश में भला चीजें पुरानी कौन देखेगा?" "वो पगली इसलिए शायद ठहाकों पर उतर आई, जवानी में तेरी आंखो का पानी कौन देखेगा?"
प्रख्यात कवयित्री उर्वशी अग्रवाल "उर्वी" ने कहा "गिरती मैं झक मार के, चढ़ती हूं सौ बार, मेरे सपनों के महल की, ऊंची मीनार।" "ना वो कमतर, ना मैं बेहतर, वह है मिश्री मैं हूं शक्कर। नर्तन करती तेरी यादें, सिलवट सिलवट मेरा बिस्तर।" शायर सुरेंद्र सिंघल ने "मुझ जैसा शख्स कोई अगर बेअदब हुआ है, कमियां जरूर होंगी महफिल के कायदों में" शेर के माध्यम से आवाम की बात कहने की कोशिश की। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी त्यागी की सरस्वती वंदना से हुआ। महफिल का आगाज करते हुए अल्पना सुहासिनी ने कहा "जब भी होता है जहां होता है इश्क इबादत का बयां होता है, है जरूरत ही कहां लफ्ज़ों की, इश्क आंखों से बयां होता है।" डॉ. रमा सिंह ने कहा "बंद खुलती खिड़कियां आंखों में हैं, उसमें उठती तल्ख़ियां आंखों में हैं, चाह कर भी भूलना चाही न जिन्हें, दो तड़पती मछलियां आंखों में है।" अंजू जैन, डॉ. तारा गुप्ता, तरुणा मिश्रा, तूलिका सेठ, बी. एल. बत्रा "अमित्र", डॉ. वीना मित्तल, वी. के. शेखर, टेक चंद, अमूल्य मिश्रा, आशीष मित्तल, कीर्ति रतन, डॉ. संजय शर्मा, आलोक यात्री, प्रीति कौशिक, सुभाष अखिल ने अपने कलाम पर जमकर वाहवाही बटोरी। अंजू जैन ने फरमाया "हमारे बिना यूं कटी कैसे रातें, हमें चांद तारे खबर कर रहे हैं।" महफ़िल ए बारादरी की संयोजिका डॉ. माला कपूर ने फरमाया "मशहूर हो रहे हैं अगर महफ़िलों में हम, ये किसी की हुस्न ए नज़र का कमाल है।" कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन ज़िया ने किया। इस अवसर पर शिवराज सिंह, बांके बिहारी भारती, सुशील शर्मा, वरदान, सचिन त्यागी, अजय वर्मा, वागीश शर्मा, राकेश सेठ, पवन अग्रवाल, डॉ. अतुल कुमार जैन, ललित चौधरी, अपूर्वा चौधरी, आभा श्रृंखल, रेखा शर्मा, पराग कौशिक, डॉ. वीना शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।