करगिल.बामियान बुद्ध प्रतिमाओं के नष्ट होने के बाद दुनिया में बुद्ध की सबसे ऊंची तीन प्रतिमाएं लद्दाख के करगिल जिले में हैं। इन्हें मैत्रेय बुद्ध के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा लद्दाख में करीब साढ़े पांच सौ ज्यादा स्थानों पर भित्ति चित्र भी हैं, जिनका संरक्षण एएसआई करने जा रहा है।
इन्हें एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित भी किया जाएगा। केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि इन सांस्कृतिक विरासतों की कल्चरल मैपिंग का काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही एएसआई इन्हें अपने अधीन लेकर इनके संरक्षण का काम शुरू करेगी।
किसी को बेदखल नहीं किया जाएगा
पटेल ने बताया कि इनमें से मुलबेक चंबा में जहां मैत्रेय बुद्ध हैं, वह पूजा स्थल भी हैं। वहां रहने वालों में एक हिचकिचाहट है कि एसएसआई के अधीन होने के बाद उन लोगों को वह स्थान खाली करने के लिए कह दिया जाएगा लेकिन मैंने उन्हें इस बात का भरोसा दिया है कि किसी भी ऐतिहासिक विरासत में, जहां पूजा भी होती है, किसी को बेदखल नहीं किया जाएगा। भित्ति चित्रों को भी उन्हीं मूल रंगों से संरक्षित किया जाएगा। उसमें किसी किस्म की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
पटेल ने बताया कि लेह से करगिल तक पर्यटन हाइवे विकसित किया जा रहा है, जिसमें लेह से कारगिल तक के रास्ते में पड़ने वाले सभी होटल, होम स्टे, दुर्घटना संभावित क्षेत्र और बर्फ से लदे पहाड़ों के बेहतरीन व्यू प्वाइंट की जानकारी भी मुहैया कराई जाएगी।
इसके अलावा पर्यटकों को मौसम संबंधी जानकारी भी दी जाएगी। 225 किमी के इस रास्ते में हर 25 किमी पर स्वास्थ्य जरूरतों के लिए ऑक्सीजन पार्लर और टी-स्नैक्स के स्टॉल की सुविधा भी विकसित करने की योजना है। इसके अलावा लेह से 76 किमी दूर सस्पोल गुफाओं में 15वीं सदी की पेंटिंग हैं।
जंस्कार, चेंगथेंग, नुब्रा इलाकों में मिलाकर 400 से अधिक रॉक आर्ट व पेंटिंग की विस्तृत जानकारी भी जुटाई जा रही है। उन्होंने बताया कि कल्चरल मैपिंग के जरिए इस इलाके में आने वाले और गुजरने वाले पर्यटकों को यह जानकारी भी दी जाएगी कि सांस्कृतिक रूप से यह इलाका कितना समृद्ध है और कहां पर क्या-क्या देखने योग्य है।
करगिल में 3 बुद्ध प्रतिमाएं, इनमें एक चतुर्भुजी
तीन बुद्ध प्रतिमाओं में से एक लेह-करगिल राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर करगिल से करीब 45 किमी दूर मुलबेक गांव में बिल्कुल सड़क किनारे है। यह बुद्ध की चतुर्भुजी प्रतिमा है। दूसरी प्रतिमा कारगिल से 40 किलोमीटर दूर संकू कस्बे के पास खरसे खार गांव में है। तीसरी प्रतिमा बालटिक रोड पर अपाती गांव में है। यह प्रतिमा तीनों में सबसे छोटी है।