सांगली.महाराष्ट्र के सांगली जिले में रहने वाले सचिन तानाजी येवले और उनकी पत्नी वर्षा सचिन येवले दोनों पढ़े-लिखे हैं। सचिन कई साल मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी कर चुके हैं, लेकिन अब पत्नी के साथ मिलकर ऑर्गेनिक और इनोवेटिव खेती कर रहे हैं। वे अपनी ढाई एकड़ जमीन पर गन्ना, फल, सब्जियां उगा रहे हैं। इसके साथ ही इनकी प्रोसेसिंग करके वे ऑर्गेनिक गुड़, मसाला गुड़, गुड़ की शक्कर, लॉलीपॉप और कैंडी जैसे उत्पाद भी बना रहे हैं। इससे हर साल 15 लाख रुपए की कमाई हो रही है।
27 साल की वर्षा ने BSc.(एग्रीकल्चर) किया है। जबकि 33 साल के सचिन ने ‘एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट’ में पोस्ट-ग्रेजुएशन डिप्लोमा किया हुआ है। सचिन बताते हैं, 'नौकरी के दौरान मैं अक्सर ये सोचता था कि जो कुछ मैंने पढ़ाई के दौरान सीखा है, उसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूं। मैं किसानों की भलाई के लिए काम नहीं कर पा रहा हूं। फिर चार साल नौकरी करने के बाद 2013 में मैंने तय किया कि अब खेती करूंगा और नौकरी छोड़ दी।'
लोगों से मिलता था, ऑनलाइन जानकारी जुटाता था
सचिन कहते हैं, 'जब मैंने ऑर्गेनिक खेती करनी शुरू की, तो शुरुआत में उपज बहुत अच्छी नहीं हुई। गांव के कई लोग मजाक भी उड़ाने लगे कि अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती कर रहा है। खेती में कहां कुछ मुनाफा होने वाला है, लेकिन मेरी पत्नी ने मेरा साथ दिया। और मैं लोगों की आलोचना पर ध्यान देने के बजाए लगातार मेहनत करता रहा।'
सचिन जिस इलाके से आते हैं, वहां गन्ने की खेती खूब होती है। सचिन कहते हैं कि हमारा परिवार पहले भी पारंपरिक खेती कर चुका था, लेकिन इसमें कोई खास मुनाफा नहीं होता था। मैं जब खेती के लिए गांव लौटा तो सबसे पहले प्रोग्रेसिव किसानों से मिलना शुरू किया। उनसे जानकारी जुटाई। इसके साथ ही ऑनलाइन भी खेती के नए तरीकों को लेकर जानकारी जुटाता रहा। इसी दौरान मुझे पता चला कि गन्ने की प्रोसेसिंग में बिजनेस का अच्छा स्कोप है।
गन्ने के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती
सचिन ने अपनी जमीन को अलग-अलग हिस्सों में बांटा रखा है। वे जून में गन्ना लगाते हैं। इसके साथ ही वे दूसरी फसलें जैसे मूंगफली, दालें और सब्जियां भी उगाते हैं। एक हिस्से में उन्होंने अमरूद का बाग भी लगाया है। वह बताते हैं कि जब गन्ने का सीजन होता है तो हम गन्ना बेचते हैं। जब उसका सीजन बीत जाता है तो हम उसके प्रोसेसिंग पर फोकस करते हैं। ऑर्गेनिक गुड़, लॉलीपॉप और कैंडी जैसे उत्पाद हमारी पहचान हैं। काफी संख्या में लोग इनकी डिमांड करते हैं।
क्यों खास है गुड़ की चाय?
सचिन की पत्नी वर्षा खेती के काम में पति की मदद के साथ ही दुकान भी संभालती हैं। उन्होंने खेत के पास ही एक स्टॉल लगाया है। जहां वे अपने प्रोडक्ट और सब्जियां बेचते हैं। हाल ही में उन्होंने एक खास तरह की ऑर्गेनिक गुड़ की चाय बेचना शुरू किया है। इस चाय को बनाने के लिए चाय पत्ती, चीनी और दूध की जरूरत नहीं होती है। वे गुड़ के साथ लेमनग्रास, इलायची, अदरक जैसी जड़ी बूटियां डालकर इसे तैयार करते हैं। इस चाय का टेस्ट तो बेहतर है ही, साथ ही ये हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।
सचिन और वर्षा बताते हैं कि अब लोगों में इस चाय की डिमांड बढ़ रही है। कई लोग इसकी रेसिपी के बारे में पूछते हैं और हमसे पाउडर की मांग करते हैं। जल्द ही हम इसे मार्केट में उतारेंगे। अभी इस पर काम कर रहे हैं।
मार्केटिंग के लिए क्या किया?
सचिन बताते हैं कि अपनी उपज को सही दाम में मार्केट में पहुंचाना इतना आसान नहीं था। शुरुआत में हम लोग फल-सब्जियों को खेत से निकालने के बाद बाल्टी में लेकर सड़क पर बैठते थे और इन्हें, आने-जाने वालों को बेचते थे। बाद में मैंने शहर के अलग-अलग लोगों के पास जाकर अपना प्रोडक्ट देना शुरू किया। मैं उनके पास जाकर कहता कि आप इसका एक बार उपयोग कर देखें और अगर अच्छा लगे तो आगे आप ऑर्डर भी कर सकते हैं। इस तरह एक-एक करके हम लोगों को जोड़ते गए। अब सौ से ज्यादा लोग हमारे वॉट्सऐप ग्रुप में जुड़े हैं। उन्हें जिस चीज की जरूरत होती है, वे हमें मैसेज कर देते हैं।