बिलासपुर.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शनिवार को अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर महिला ने अपने पहले पति को कानूनी रूप से तलाक नहीं दिया है। यह जानते हुए भी कोई व्यक्ति उससे शादी करता है तो वह अवैध नहीं होगी। कोर्ट ने इस मामले में पारिवारिक कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए दूसरे पति को भरण-पोषण भत्ता महिला को देने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत की एकल खंडपीठ में हुई।
दरअसल, परिवार न्यायालय ने आवेदिका को इस आधार पर भरण पोषण भत्ता देने से इनकार कर दिया था कि उसने पहले पति से वैध तलाक नहीं लिया है। ऐसे में वह प्रतिवादी दूसरे पति की कानूनी रूप से पत्नी नहीं है। इस आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता तेरस डोंगरे ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि महिला सूर्यवंशी जाति की है। इसमें मौखिक तलाक प्रचलन में है। साथ ही पुराने फैसले का हवाला भी दिया।
तलाक कानूनी नहीं था, पर प्रतिवादी पति-पत्नी की तरह रहा
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, भले ही पति के साथ याचिकाकर्ता का तलाक कानून के अनुसार नहीं हुआ था, पर वह और प्रतिवादी कुछ समय के लिए पति-पत्नी के रूप में एक साथ रहे थे। ऐसे में इस तरह के संबंध को CRPC की धारा 125 के प्रयोजनों के तहत मान्य माना जाता है। कोर्ट ने कहा कि जब दूसरे पति ने याचिकाकर्ता से विवाह किया तो वह पूरी तरह से यह जानता था कि उसकी पूर्व की शादी वैध तलाक से समाप्त नहीं हुई है।
कोर्ट ने कहा- महिला भरण-पोषण भत्ते के लिए हकदार
कोर्ट ने कहा, दूसरे पति को CRPC की धारा 125 महिला से शादी अमान्य करने की उसकी दलील से रोकती है। ऐसे में सिर्फ इस आधार पर भरण पोषण से महिला को वंचित नहीं रखा जा सकता कि उसने पहले पति से कोर्ट की डिक्री द्वारा तलाक नहीं लिया। हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को अपास्त करते हुए याचिकाकर्ता को भरण पोषण की राशि पाने की हकदार बताया है।