रायपुर.इस साल धान की बंपर खरीदी के बाद सरकार उसे सहेजने में मुश्किलों से घिरती नजर आ रही है। राज्य की खाद्यान्न योजनाओं के लिए 25 लाख टन और केंद्रीय पूल में 40 लाख टन देने के बाद भी करीब 20 लाख टन से अधिक धान सरप्लस हो रहा है।
यदि केंद्र ने कोटा नहीं बढ़ाया तो राज्य सरप्लस धान को खुले बाजार में बेचने की तैयारी कर रही है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ओपन बाजार में धान बेचने जा रही है। 20-21 में हुई खरीदी के बाद सरप्लस धान की नीलामी का फैसला हुआ है। इसकी नीलामी के लिए निर्देश दिया है।
यह नीलामी मार्कफेड करेगा। इसके लिए अंतर विभाग समिति का गठन किया गया है। 18 फरवरी से बिडर के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होगा। उन्होंने बताया कि प्राइवेट सोसाइटी में धान पड़े रहने से सरकार को नुकसान होगा और धान भी खराब होगा। विकल्प हमने खुला रखा है, फिर भी केंद्र से उम्मीदें हमने बनाई हुई है।
इसके बावजूद केंद्र सरकार से उम्मीद है जो छत्तीसगढ़ के किसानों ने धान उत्पादित किया है उसे एफसीआई के माध्यम से खरीदी करेगी। चौबे ने कहा कि देश में 1000 से 1100 रुपए में धान खरीदी की जा रही है, हम किसानों से 2500 रुपए में धान खरीद रहे हैं। अन्य खर्चे मिलाकर छत्तीसगढ़ सरकार को 30 रुपए प्रति किलो से अधिक पड़ता है।
यह नुकसान हमें होगा। यह हम पहले ही मान कर चल रहे हैं, पर केंद्र से भी उम्मीद है। 60 लाख मीट्रिक टन मान्य करने के लिए केंद्र को पत्र भेजा है। चौबे ने कहा कि एफसीआई में चावल जमा करने की गति धीमी है।
पुराने बारदाने में चावल जमा नहीं किया जा रहा है, इसमें ढील के लिए प्रस्ताव भेजा है। वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि राज्य के पास 16 लाख 46 हजार टन धान सरप्लस है। एफसीआई में धीमी गति से चावल जमा हो रहा है। राज्य ने अतिरिक्त धान की नीलामी का फैसला किया है। यह नीलामी एमएसपी दर पर होगी।
एफसीआई का पुराने बारदाने में चावल लेने से इनकार, भगत ने गोयल का लिखी चिट्ठी
भारतीय खाद्य निगम ने पुराने बारदाने में चावल खरीदने से इनकार कर दिया है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर पुराने बारदानों में भी चावल लेने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
नये बारदानों में चावल जमा नहीं करने के लिए राज्य सरकार ने नये बारदाने की कम आपूर्ति की बात कही है। भगत ने लिखा, केंद्रीय जूट आयुक्त ने 1.48 लाख जूट के बारदानों की स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन प्रदेश को अभी तक 1.08 लाख बारदाने ही मिले हैं। केंद्र सरकार ने 20 अक्टूबर को एक बार उपयोग हो चुके जूट बारदानों में चावल जमा करने की अनुमति दी गई थी।
मंत्री का कहना है, इस अनुमति के बावजूद यहां एफसीआई में इस्तेमाल हुए बारदानों में चावल जमा नहीं कर रही है। भगत ने सीएम बघेल के पत्र का भी उल्लेख किया है, जिसमें 40 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की मांग की गई है।
यह है धान और चावल का गणित: इस साल 93 लाख टन धान की खरीदी की गई। इसमें से राज्य की योजनाओं के लिए करीब 25 लाख टन चावल लगता है। केंद्रीय पूल में भारत सरकार ने करीब 40 लाख टन लेने की सहमति दी है। राज्य की मांग पर यदि केंद्र ने 20 लाख टन और नहीं लिया तो यह धान खरीदी केंद्रों और गोदामों में सड़ जाएगा। बीते 21 सालों में बाजार में पहली बार धान बेचा जाएगा।