कोलंबो.पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मंगलवार को दो दिन के श्रीलंका दौरे पर कोलंबो पहुंचे। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका पहला श्रीलंका दौरा है। हालांकि, श्रीलंका की इस पहली ही यात्रा में इमरान की किरकिरी हो रही है। एक हफ्ते में दूसरी बार श्रीलंका की गोटबाया राजपक्षे सरकार ने उन्हें झटका दिया। पिछले हफ्ते श्रीलंकाई संसद में उनके भाषण का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। अब श्रीलंका के मुस्लिम सांसदों से मीटिंग के प्रोग्राम को शेड्यूल से हटा दिया गया है।
इमरान के शेड्यूल के मुताबिक, उन्हें श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के लीडर रऊफ हकीम और ऑल सीलोन मक्कल कांग्रेस के लीडर रिशाद बाथीउद्दीन से मुलाकात करनी थी। इस मीटिंग को श्रीलंकाई सरकार ने रद्द कर दिया है।
दो नहीं तीन झटके मानिए
पाकिस्तान के ARY टीवी चैनल के मुताबिक, श्रीलंका सरकार ने एक हफ्ते में इमरान के तीन कार्यक्रम रद्द किए। पहला- संसद में होने वाला भाषण टाला। दूसरा- मुस्लिम सांसदों से मुलाकात भी नहीं हो सकेगी। तीसरा- स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स भी नहीं जा सकेंगे। आखिरी दो कार्यक्रमों को कथित तौर पर सुरक्षा का हवाला देकर टाला गया है।
हकीकत क्या है
सच्चाई ये है कि श्रीलंका में लंबे वक्त से मुस्लिम विरोधी भावनाएं हैं। यहां बौद्ध समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछले दिनों यहां के बौद्ध समुदाय ने मस्जिदों में जानवरों की कुर्बानी का विरोध किया। इस पर रोक के लिए रैलियां निकाली गईं। कोविड-19 के दौर में आरोप लगा कि महामारी से मारे गए मुस्लिमों के शव दफनाने के बजाए जलाए जा रहे हैं। इमरान ने सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे को उठाया और इसका विरोध किया।
राजपक्षे सरकार की आशंका
इमरान ने अफगानिस्तान दौरे पर मुस्लिम कार्ड खेला था। श्रीलंकाई सरकार को आशंका है कि वे इस दौरे पर भी ऐसा कर सकते हैं। इसलिए हर उस प्रोग्राम को इमरान के शेड्यूल से हटा दिया गया, जिससे श्रीलंका में सवाल उठ सकते हैं। संसद में भाषण को तो साफ तौर पर इसलिए रद्द किया गया, क्योंकि इससे भारत नाराज हो सकता था। आशंका थी कि इमरान वहां कश्मीर का मुद्दा उठा सकते हैं। भारत ने कोविड-19 के दौर में श्रीलंका की काफी मदद की। हाल ही में करीब पांच लाख वैक्सीन वहां मुफ्त भेजी गईं।
35 साल बाद कोलंबो में इमरान
इमरान खान 1986 में आखिरी बार श्रीलंका गए थे। उस वक्त वे पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के कप्तान थे। इस दौरे में उन्होंने श्रीलंकाई अंपायरों पर पक्षपात का आरोप लगाया था।