नई दिल्ली.कृषि कानूनों के विरोध में पिछले ढाई महीने से आंदोलन कर रहे किसान गुरुवार को देशभर में 4 घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ गुरुवार को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर में 'रेल रोको आंदोलन' होगा।
इधर, रेलवे ने भी सुरक्षा के लिहाज से रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स की 20 अतिरिक्त कंपनियां तैनाती की हैं। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार ने कहा, 'हम चाहते हैं कि किसान यात्रियों के लिए असुविधा पैदा न करें। हम चाहते हैं कि वे 4 घंटे शांति से बीत जाएं। मुख्य फोकस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर रखा गया है।'
किसान आंदोलन के राजनीतिक नुकसान से भाजपा चिंतित
किसान आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, इससे भाजपा की चिंता बढ़ रही है। उसका मानना है कि इसका जल्द हल नहीं निकला तो उसे चुनावो में जाट बहुल इलाकों में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
इन क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों के फीडबैक के आधार पर पार्टी अब अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र खासतौर पर जाट किसानों से लगातार संपर्क में रहने को कहा है।
जाट वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति बनाई
किसान आंदोलन से राजनीतिक नुकसान की आशंका को देखते हुए दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में मंगलवार को बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हुए। इन नेताओं ने विधायकों और स्थानीय नेताओं से आग्रह किया कि वे इन क्षेत्रों में स्थानीय खापों, पंचायतों और सामुदायिक समूहों के साथ संपर्क करें ताकि पार्टी और सरकार की स्थिति को समझाया जा सके।
किसान आंदोलन के जारी रहने और पार्टी के जमीनी कैडर से मिले फीडबैक के बाद पार्टी नेतृत्व को यह बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है। अब विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है। प्रियंका गांधी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों में शामिल हो रही हैं।