सीधी बस हादसा कई परिवारों को कभी न मिटने वाला गहरा जख्म देकर गया है। हादसे में मरने वालों की संख्या 51 हो चुकी है। मंगलवार रात तक 47 शव मिले थे। बुधवार को 4 बॉडी और मिलीं, जिसमें 5 महीने की बच्ची का शव रीवा में मिला। 3 लापता लोगों की तलाश जारी है।
इस बीच, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घटनास्थल सीधी पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। रामपुर नैकिन गांव के गुप्ता परिवार ने मुख्यमंत्री से अपील की, ‘अगर सड़क जाम नहीं होती, तो हमारे बच्चे जिंदा होते और पत्नी जिंदा होती। सड़क बनवा दीजिए। जो मेरे साथ हादसा हुआ, किसी और परिवार के साथ ना हो।’ सुरेश गुप्ता अपनी बहू पिंकी और पोते अथर्व के साथ सफर कर रहे थे। सुरेश बच गए, बहू-पोता नहर में डूब गए।
बच्ची का शव 22 किमी दूर मिला
बस में बैठी 5 महीने की मासूम शुभी उर्फ सौम्या अपनी मां के आंचल से छूट गई थी, जो पानी की बहाव के साथ बहती चली गई। 24 घंटे बाद उसका शव सीधी की सरहद से 22 किलोमीटर दूर रीवा के गोविंदगढ़ के पास मिला। उसकी मां और मौसी की लाश मंगलवार को ही बस से मिली थी।
बस ड्राइवर देर रात गिरफ्तार
रीवा के सिमरिया निवासी बस ड्राइवर 28 साल के बालेंद्र विश्वकर्मा को पुलिस ने मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। ड्राइवर ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका एक ड्राइविंग लाइसेंस हादसे में बह गया, जबकि दूसरा लाइसेंस रीवा में है। गाड़ी के दस्तावेज सतना में हैं। इसके बाद बालेंद्र के ड्राइविंग लाइसेंस और बस के डॉक्यूमेंट्स के लिए दो टीमें रीवा और सतना भेजी गई हैं।
पुलिस ड्राइवर से यह पता करने में जुटी है कि क्या वह पहले भी ओवरलोड कर बस चलाता था? ASP अंजुलता पटले के मुताबिक, बस में कुल 63 यात्री सवार थे। इनमें से तीन यात्री हादसे से पहले ही बस से उतर गए थे। वहीं, 60 यात्रियों में 6 की जान बचाई जा चुकी है।
ड्राइवर बोला- फिसलती गई बस और नहर में समा गई
सोशल मीडिया पर बस के ड्राइवर बालेंद्र विश्वकर्मा का वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह कह रहा है कि चलती हुई बस में अचानक आवाज आई। इसके बाद बस फिसलकर नहर में समा गई। मैंने किसी तरह जान बचाई। मेरे पीछे एक लड़की भी थी। उसने भी बाहर निकलने की कोशिश की। वहीं, ऊपर से दो लोगों ने रस्सी डाली, जिसकी मदद से हम बाहर आ गए।
बस में 33 स्थानों से लोग हुए थे सवार
नहर में पलटने वाली सीधी-सतना रूट की बस MP-19P 1882 में कुल 33 स्थानों से 60 लोग सवार हुए थे। इसमें सबसे ज्यादा रामपुर नैकिन, कुसमी और बहरी वेलहा से 3-3, बाकी आसपास के गांवों में रहने वाले थे।
बस हादसे में जिंदा बच गए लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। इस बड़े हादसे में छह लोगों को उनके जज्बे ने बचा लिया। इसमें तीन पुरुष और तीन युवतियां शामिल हैं। इस दौरान बहादुर बेटी शिवरानी और उसके परिजन ने इन छह लोगों को बचाने में गजब की हिम्मत और जज्बा दिखाया। इसमें से अधिकतर 200 से 500 मीटर तक बह गए थे।
हिम्मत से दी मौत को मात
अनिल तिवारी ने बताया, ‘जैसे ही बस नहर में डूबने लगी, बस की बंद खिड़की को जोर से हाथ मारा, जिससे कांच टूट गया। मुझे तैरना आता था। बगल में बैठे सुरेश गुप्ता को बचाने की कोशिश की और उनका हाथ पकड़कर खिड़की से बाहर खींच लिया।’ सुरेश गुप्ता 62 वर्ष के हैं। तैरना भी कम जानते थे, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नहर का किनारा पकड़ लिया। करीब 300 मीटर दूर जाकर एक पत्थर मिला, जिसके सहारे दोनों अपनी जान बचा पाए।
जज्बे से बचाई खुद की जान
ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी बस में सामने के कांच से आगे की ओर देख रहे थे। जैसे ही बस नहर में गिरने लगी तो उन्होंने खिड़की के कांच में पैर मारा और पानी में कूद गए। गनीमत यह रही कि वे बस के किसी हिस्से में नहीं फंसे। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने ही बस धीरे धीरे डूब गई। वे नहर का किनारा पकड़कर तैरने लगे। तभी एक सीढ़ी मिली, जिसे पकड़कर ऊपर आ गए।