उझानी: अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्त्वावधान में नगर के समीपर्वी गांव संजरपुर में चल रही। युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित 19वें पुराण ‘प्रज्ञा पुराण‘ की कथा का तीसरे दिन गायत्री महायज्ञ के साथ समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने गायत्री मंत्र की दीक्षा ली, संस्कार हुए। युवाओं ने नशे से दूर रहने का संकल्प लिया।
टोली नायक लीलाधर शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति ही देवसंस्कृति है। मनुष्य में देवत्व का निर्माण करती है। पूर्वजन्म के संचित सुसंस्कारों को उपयुक्त वातावरण देकर मानव को सुसंस्कारी बनाना, त्याग, तपस्या, परोपकार जैसे दिव्य गुणों को विकसित कर मनुष्य को देवता बनाती।
सहायक टोली नायक नंदकिशोर कटियार ने कहा कि मनुष्य गुरु की सेवा और कृपा से ब्रह्मविद्या प्राप्त कर ब्रह्मरूप बन जाता है। उसकी अमृतमयी वाणी और ज्ञान का अलौकिक प्रकाश सूक्ष्मजगत का परिशोधन करता है। शिक्षा मनुष्य को सभ्य और विद्या सुसंस्कारी बनाती है। श्रवण कुमार जैसे पितृभक्त और एकलव्य जैसे आज्ञाकारी बनने से जीवन अनमोल बनता है।
प्रज्ञा मंडल के पंकज कुमार और भवेश शर्मा ने प्रज्ञागीतों का श्रवण कराया। मुख्य यजमान अनवीर पाल ने मां गायत्री और संयोजक सुरेंद्र पाल सिंह ने शक्तिकलश का पूजन किया। प्रज्ञा पुराण कथा में अनवीर सिंह, गेंदन लाल, जितेंद्र सिंह, पुरुषोत्तम पाल, वीरावती ने गायत्री मंत्र की दीक्षा ली। आशीष पाल, रूबी, शिवम कुमार, आरती का विद्यारंभ संस्कार हुआ। युवाओं ने नशे से दूर रहने का संकल्प लिया।
श्रद्धालुओं और साधु संतों ने लोककल्यार्थ यज्ञभगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां समर्पित कीं। मातृशक्तियों और देवकन्याओं ने जल का अभिसिंचन कर भव्य आरती की। इस मौके पर ओमवीर, किशनवीर, शिवम, सोमवीर पाल, पोप सिंह आदि मौजूद रहे।