जहाज, झुंझुनूं। कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो , कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां सही साबित कर दिखाई एक ढाणी के लाल विकास कुमार गुर्जर ने। विकास गुर्जर बहुत ही गरीब परिवार से जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी । पिताजी खुली मजदूरी और माताजी नरेगा में जाकर रात दिन की कड़ी मेहनत से विकास को कभी किसी चीज की कमी में नही रहने दिया । विकास बताते है कि उनकी इस सफलता में उनकी माताजी का सबसे अधिक योगदान रहा जो उन्हें हर डगर पर साथ देती रही। विकास के व्याख्यता बनने की भनक लगते ही दोस्तों रिस्तेदारों ने फोन के माध्यम से बधाइयाँ देनी शुरू कर दी । विकास के मित्र सुरेन्द्र सैनी से हुई बातचीत में पता लगा कि वो शुरू में एक साथ कोचिंग जाया करते थे जब से ही विकास पढ़ने में अव्वल था , जब सुरेन्द्र को पता चला तो वो विकास के घर जाकर शुभकामनाएं दी और मिठाई खिलाई ।
विकास ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के आदर्श माने जाएंगे। खुशी के इस मौके पर उनके माता पिता , प्रकाश सैनी , केदार गुर्जर , रामावतार आदि उपस्थित रहे।