सवाई माधोपुर रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा। सवाई माधोपुर जिले में करमोदा कस्बा अमरूदों की नगरी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यहां अमरूदों की बंपर पैदावार होती है। स्वादिष्ट व उत्तम क्वालिटी से भरपूर यहां का अमरूद देश की नामी-गिरामी मंडियों तक जाता है। लेकिन अब अमरूदों की पैदावार का विस्तार काफी कुछ बढ़ चुका है। करमोदा कस्बे के नजदीकी गांव दोंदरी में भी अमरूदों की अच्छी फसल पैदा होती है। सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से जिले की आखिरी बॉर्डर (सीमा)के गांव मोरेल नदी के किनारे बसे जस्टाना कस्बे तक अमरूद की फसल अपनी गहरी जड़ें जमा चुकी है। लेकिन इन सब गांवों व कस्बों के बीच मलारना चौड़ कस्बा मीठे और स्वादिष्ट अमरूद की खेती के मामले में कहीं अधिक आगे हैं, कस्बा मीठे और स्वादिष्ट अमरूदों की पैदावार के मामले मेंअपनी अलग ही पहचान कायम किए हुए हैं। कृषि विशेषज्ञ एवं पेशे से शिक्षक विक्रम कुमार मीणा इस बारे में बताते हैं ,कि तालाबों की नगरी मलारना चौड़ की अनुकूल जलवायु, सिचाई हेतु यहां का बरसाती पानी एवं यहां की मिट्टी में बसे लौह तत्व की अधिकता व काली जलोढ़ मिट्टी की पर्याप्तता होने के कारण आसपास के क्षेत्रों में कस्बे की मिट्टी अधिक उपजाऊ है । मलारना चौड़ एरिये में लगभग सभी फसलों में (अच्छी बारिश होने पर) प्रति हैक्टेयर पैदवार उत्पादन कुछ अधिक है। इसी प्रकार यहाँ के *दुर्गा सागर* तालाब में सिंघाड़े की खेती की जाती है जो अपने मीठे स्वाद के कारण जिले सहित पड़ोसी जिलों तक बेचे जाते है । कीर जाती इसकी पारम्परिक रूप से खेती करती है।
मलारना चौड़ की जलवायु अमरूदों की खेती के लिए काफी अनुकूल है। मिट्टी काली जलोढ़ होने के कारण अधिक समय तक भूमि में नमी बनाए रखने में यह कारगर है । प्रायः देखा गया है कि पेड़ो की ग्रोथ के साथ फलों का आकार भी काफी बड़ा होता है। और सबसे अहम बात यहां मिट्टी में *लवणीयता* नही होने के कारण अमरूदों का स्वाद *बिल्कुल मीठा* है। इसी कारण मलारना चौड़ के अमरूदों की डिमांड आसपास के अन्य कस्बों में भी बढ़ने लगी है। यही नहीं नजदीकी जिले दौसा के लालसोट क्षेत्र में मलारना चौड़ का अमरूद लोगों की खासी पसंद बनी हुई है। इन सभी बातों के अध्ययन , मौसम की अनुकूलता को देखते हुए *मलारना चौड़ को अमरूदों की आधुनिक नगरी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।* क्योंकि मलारना चौड़ कस्बे का अमरूद लालसोट कस्बे के बाद समीपवर्ती जिला मुख्यालय दौसा होते हुए राजधानी जयपुर ही नहीं और आगे भी अपने पहुंच सुनिश्चित करने पर आमादा है।
पूर्व में करमोदा व दोन्दरी क्षेत्र में अमरूदों में बग व विल्ट रोग का खासा प्रकोप देखा गया था। जिसके चलते अमरूदों की पैदावार पर व उसकी बिकवाली पर खासा असर पड़ा है। दूरदराज के ठेकेदारों की अब यहां अमरूद की खेती करने में कम रुचि दिखाई देने लगी हैं। मलारना चौड़ के अलावा अन्य कस्बों में भी अमरूद की खेती के प्रति किसानों का काफी रुझान बढ़ा है।