दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में सीटू नेता गंगेश्वर शर्मा पहुंचे tap news india

नोएडा, 22 दिसंबर 2020 को 27 वें दिन भी किसान आंदोलन मजबूती के साथ जारी रहा दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में सीटू नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा, मदन प्रसाद, भीखू प्रसाद, पारस गुप्ता, भरत डेंजर, हरकिशन सिंह, महेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में सीटू जिला कमेटी गौतम बुध नगर के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर सीटू जिलाध्यक्ष गंगेश्वर दत शर्मा ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के विरोध में सारा देश किसानों के साथ है वहीं मजदूर आंदोलन किसानों की कृषि संबंधी तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग का पूर्ण समर्थन कर रहा है हमारी मांग है कि बिना किसी शर्त व दबाव के किसानों के नेतृत्व से संवाद किया जाए और उनकी सारी आवश्यक मांगों को माना जाए। जब तक किसानों की मांग नहीं मानी जाएगी मजदूर संगठन सीटू किसानों के आंदोलन के साथ है
धरने पर मौजूद अखिल भारतीय किसान सभा उत्तर प्रदेश के महामंत्री मुकुट सिंह, अध्यक्ष भरत सिंह, संयुक्त मंत्री चंद्रपाल सिंह, व मेघराज सोलंकी, उपाध्यक्ष डीपी सिंह, माकपा सांसद मोहम्मद करीम, किसान सभा के राष्ट्रीय नेता बीजू कृष्णन ने कहा कि किसानों ने पिछले वर्षों में आंदोलन करके मांग उठाई कि कम से कम एक बार कर्ज माफी घोषित हो और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के अनुसार लागत मूल्य से डेढ़ प्रतिशत अधिक दर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को निश्चित किया जाए केंद्र की मोदी सरकार ने इन मांगों को मानने की बजाय तीन नए कानूनों को किसानों पर थोपा है यह कानून पहले से उत्पीड़ित किसानों के लिए ताबूत में आखिरी कील की तरह है यह किसानों को बड़ी देशी-विदेशी कंपनियों का गुलाम बना देंगे क्या फसलें उगाई जाए फसलों का कितना दाम मिले यह सारी चीजें कंपनियां अपने मुनाफे को देखते हुए तय करेंगी और किसानों का हक मारा जाएगा मंडियों को खत्म करने की यह एक बड़ी साजिश है अगर नाम के वास्ते मंडी आ रहे भी गई तो उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर खरीद नहीं होगी बल्कि कंपनियां मंडियों को बाईपास करके फसल को सस्ती दरों में ख़रीदेंगे कंपनियां और किसानों की होड़ में किसानों की हार तय है और तो और धान गेहूं आलू प्याज आदि को आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची से हटाया गया है ताकि कंपनियां इन वस्तुओं की जमाखोरी कर सके और बाजार में इन वस्तुओं के दाम को बढ़ा सके नतीजा किसानों को फसलों के लिए कम दाम मिलेगा ग्राहक यानी आम नागरिक को खाने की आवश्यक वस्तुएं बहुत बढ़े हुए दाम पर मिलेंगी इसीलिए हम इन काले कानूनों को वापस लेने के लिए लड़ रहे हैं