पटना.पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। राज्य का पहला 8 सीटर रोपवे राजगीर में फरवरी से चालू हो जाएगा। इसका 90 प्रतिशत निर्माणकार्य पूरा हो चुका है और अब यह पूरी तरह से तैयार है। फिलहाल कंपनी द्वारा ट्रायल पीरियड चल रहा है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजगीर में निर्माणाधीन 8 सीटर रोपवे का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने रोपवे का जायजा लिया और फरवरी से इसे शुरू करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री के पहुंचने पर जिला प्रशासन ने सबसे पहले उन्हें गॉड ऑफ ऑनर की सलामी दी। इसके बाद वह वेणुवन भी गए, जहां वन का सौंदर्यीकरण चल रहा है। घोरा कटोरा में भी निर्माणाधीन पार्क में गए और अधिकारियों को हरियाली से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया।
ये रोपवे पुराने रोपवे के पास ही है, जहां पर्यटकों के लिए 8 सीटर रोपवे बनाया जा रहा है। सूबे का यह पहला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 8 चेयर रोपवे है, जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया से सामान मंगवाया गया है। पर्यटकों को अब पहले की तरह बैठने की जरुरत नहीं होगी। एंट्री और एग्जिट के समय ऑटोमैटिक डोर खुद खुलेगा और बंद होगा। अपर और लोअर टर्मिनल स्टेशन पर पर्यटकों के सवार होने और बैठने के क्रम में रुका रहेगा जबकि दूसरा केबिन पर्यटकों को सैर कराएगा। रोपवे की कुल लंबाई 1700 मीटर है। रोपवे 2.5 मीटर प्रति सेकेंड चलेगी।
रोपवे बिजली और जेनेरेटर से चलेगी जबकि दोनों के फेल होने पर पर्यटकों को मैनुअल भी उतारा जा सकेगा। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां तीन मंजिला भवन का निर्माण किया गया है, जिसमें बाथरूम, पेयजल और बैठने की व्यवस्था की गई है। पुराने रोपवे के बगल में ही 8 सीटर रोपवे का निर्माण किया जा रहा है।
4 सीटेड होगा मंदार हिल का रोपवे
अभी बिहार में केवल एक रोपवे है, जो राजगीर में है। ये रोपवे सिंगल सीटेड है लेकिन मंदार हिल में बनने वाला रोपवे 4 सीटेड होगा। फिलहाल राजगीर के अलावा आठ रोपवे निर्माणाधीन हैं। राजगीर रोपवे के अलावा बांका का मंदार पर्वत, राजगीर, नालंदा, ब्रह्मयोनि पर्वत, डुंगेसरी, गया, बानवर, जहानाबाद,रोहतासगढ़ का किला, मुंडेश्वरी, बोधगया में रोपवे का निर्माण कार्य जारीहै।
1969 में बना था राजगीर में पहला रोपवे
बिहार का सबसे पहला रोपवे 1969 में राजगीर के रत्नगिरी पर्वत पर लगाई गई थी। जापान सरकार की मदद से 1969 में पहले रोपवे का निर्माण किया गया था। इसकी लम्बाई लगभग 2200 फीट है और इसमें 11 टावर और 101 कुर्सियां हैं। ये पूर्णतया बिजली से संचालित है।