मध्य प्रदेश सरकार सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन दिन पहले इसकी घोषणा करते हुए उद्यानिकी विभाग के अफसरों को रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए थे। विभाग ने भिंडी, लौकी, गोभी, टमाटर सहित 12 सब्जियों को इसके दायरे में लाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि केंद्रीय कृषि कानून लागू होने के बाद मंडियों के बाहर फसलों के क्रय-विक्रय की छूट है, तो किसानों को कैसे लाभ मिलेगा? वैसे भी, प्रदेश की केवल 76 मंडियों में ही सब्जियाें की खरीद-बिक्री की व्यवस्था है।
इन सब्जियों को दायरे में लाने की योजना: भिंडी, लौकी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, टमाटर, खीरा, गिलकी, पालक, बरबटी, गाजर, चुकंदर व आलू।
हाट बाजार का सिस्टम फेल
इससे पहले, सरकार किसानों को सब्जियों का उचित दाम दिलाने के लिए हाट बाजार की योजना लेकर आ चुकी है। इसके प्रारंभिक चरण में प्रदेश के बड़े शहरों में ऐसे स्पाॅट तय किए थे, जहां किसान गांवों से सब्जी लाकर सीधे आम नागरिकों को बेच सकेंगे, लेकिन यह योजना फेल हो गई। दरअसल, नगर निगमों ने जो स्पॉट तय किए थे, वहां पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की गई थीं। ऐसे में किसानों को अपनी फसल व्यापारियों को बेचने मजबूर होना पड़ा था।
अब केरल मॉडल लागू करने की तैयारी
मुख्यमंत्री के सामने उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने सब्जियों का समर्थन मूल्य तय करने के लिए केरल के मॉडल का प्रजेंटेशन किया था। इस पर आगे बढ़ने की सैद्धांतिक सहमति के बाद अफसरों ने केरल मॉडल के हिसाब से ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें केरल में सब्जियों के दाम प्रतिकिलो लौकी 9 रुपए, खीरा 8 रुपए, पत्ता गोभी 11 रुपए, आलू 20 रुपए, गाजर 21 रुपए के भाव का उल्लेख किया गया है।
हिमाचल में सेव और यूपी में आलू पर एमएसपी लागू
केरल के अलावा देश में हिमाचल और यूपी ऐसे राज्य हैं जहां, फल-सब्जी पर एमएसपी लागू है। हिमाचल में केवल सेब और यूपी में आलू का समर्थन मूल्य तय किया गया है।
कोल्ड स्टोरेज : 9 लाख मीट्रिक टन क्षमता, जरूरत 17 लाख मीट्रिक टन
मध्य प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता वर्तमान में 9 लाख मीट्रिक टन है। यदि सब्जियों का समर्थन मूल्य तय किया जाता है, तो कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 17 लाख मीट्रिक टन की जरूरत होगी।
फिलहाल किसान ऐसे बेचते हैं सब्जियां
मध्य प्रदेश में सब्जियां किसानों से सस्ते में खरीद कर बिचौलिए महंगे दामों में बेच रहे हैं। भोपाल की थोक करोंद मंडी में पत्ता गोभी, बैंगन और लौकी जैसी सब्जियों के किसानों को आठ रुपए किलो दाम ही मिल पा रहे हैं, जबकि फुटकर बाजारों में यह 30 से 40 रुपए किलो तक है।