भोपाल.आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल कर रहा है। इसके लिए पूरे मध्य प्रदेश में भोपाल में दो संस्थानों को चुना गया है। गांधी मेडिकल कॉलेज और पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी।
इसमें गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को भारत बायोटेक ने पेंडिंग में डाला हुआ है, जबकि जीएमसी की एथिक्स कमेटी 6 दिन पहले ही सभी प्रकार की सहमति दे चुकी है। वहीं पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी ड्रग ट्रायल के लिए तैयार है। यहां पर कोवैक्सीन के डोज पहुंच चुके हैं और अगर सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार से वालंटियर्स को डोज दिया जाएगा। इसके लिए 100 वालंटियर चुने गए हैं। इसके पहले सभी प्रकार की सहमति ले ली गई हैं।
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अनिल दीक्षित ने बताया कि हमारे यहां कोवैक्सीन के डोज पहुंच चुके हैं। आज भी भारत बॉयोटेक के एक प्रतिनिधि आए हुए हैं। हमारी उनसे तैयारियों को लेकर चर्चा हुई है। हम 27 नवंबर यानि शुक्रवार से ट्रायल शुरू करने की तैयारी में हैं।
इधर, गांधी मेडिकल कॉलेज ने ट्रायल के लिए सभी तरह की तैयारी कर ली है। संस्थान की एथिकल कमेटी पहले ही हरी झंडी दे चुकी है। वहीं वैक्सीन डोज के स्टोरेज की व्यवस्था भी कर ली गई है, लेकिन भारत बॉयोटेक ने अब तक हमारे संस्थान को ट्रायल के लिए अप्रूव नहीं किया है। गुरुवार को जीएमसी की डीन डॉ. अरुणा कुमार अपनी पूरी टीम के साथ दिन भर वैक्सीन के ट्रायल को आईसीएमआर और भारत बॉयोटेक के अधिकारियों से अप्रूव कराने की कोशिश में जुटे रहे।
डॉ. कुमार ने कहा कि हमें उन्होंने (भारत बॉयोटेक) आश्वस्त किया है कि जीएमसी में ट्रायल होगा, जल्द ही इसकी सूचना देंगे। हमने ये जानकारी हॉयर अथॉरिटीज को दी है। हमारी तरफ से कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए हम तैयार हैं।
सरकार पीपुल्स के ट्रायल को अपना नहीं मान रही
पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में होने वाले ट्रायल को मध्य प्रदेश सरकार अपना नहीं मानती है। इस संबंध में जब मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के कमिश्नर निशांत बरबड़े से पूछा कि जीएमसी में अब तक कोवैक्सीन के ट्रायल के डोज नहीं आए और पीपुल्स ड्रग ट्रायल कराने की तैयारी कर रहा है, वहां पर वैक्सीन आ चुकी है। इस पर बरबड़े ने कहा कि वह उनका कॉलेज नहीं है।
वैक्सीनेशन के बाद जांचेंगे असर
वैक्सीनेशन के बाद वॉलंटियर की इम्युनोजेनसिटी जांच की जाएगी। इस जांच में टीकाकरण के बाद संबंधित व्यक्ति के इम्यून सिस्टम में हुए बदलावों का एनालिसिस किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक वॉलेंटियर का टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी टेस्ट एक निश्चित समयांतराल के बाद किया जाएगा। ताकि संबंधित में वैक्सीनेशन के बाद एंटी बॉडी बनने के लेवल को जांचा जा सके।