देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 88 लाख के पार पहुंच गई है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 29 हजार 164 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 88,74,291 पर पहुंच गई है। पिछले 24 घंटों में 449 लोगों की मौत हो गई। राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ रहे केस चिंता का सबब बन गए हैं। ऐसे में दिल्ली में वायरस के संक्रमण को कंट्रोल के लिये जहां गृहमंत्री अमित शाह ने कई दिशा-निर्देश दिये हैं वहीं पैरामिलिट्री की 75 डॉक्टरों ने दिल्ली कमान अपने हाथ में ले ली है।
दिल्ली में पिछले 24 घंटे में जहां कोरोना के 3797 नए केस सामने आए। वहीं 99 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे अचानक बढ़ते केस और डेथ रेट को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है? इस संबंध में प्रसार भारती ने सफदरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. नीरज गुप्ता से बातचीत की।
कोरोना और सामान्य लक्षण में अंतर
डॉ. नीरज ने कहा कि सर्दी में सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस को पहचानने की है। क्योंकि इस समय सामान्य सर्दी-जुकाम होना आम बात है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस का प्रकोप किसी भी वायरस की तरह ही होता है, बुखार हो सकता, ठंड हो सकती है, सर्दी-जुकाम हो सकता है, कोरोना हुआ तो बहुत अधिक थकान, सूंघने और स्वाद खत्म भी हो सकता है। कई बार लोगों में शुरू में ही सांस लेने में परेशानी आने लगती है लेकिन लोग ध्यान नहीं देते और बीमारी गंभीर हो जाती है। वायरस शरीर में जाने पर अलग-अलग रूप में प्रभाव डालता है। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं।
दिल्ली में बन सकती है यूरोप जैसे स्थिति
लोक नायक हॉस्पिटल के डॉ. नरेश गुप्ता के अनुसार, देश में जहां एक समय 90 हजार केस आ रहे थे अब 30 हजार तक केस आ रहे हैं। ठीक होने का प्रतिशत भी काफी बढ़ गया है। करीब 95 प्रतिशत लोग ठीक हो रहे हैं। इस वक्त पूरे विश्व में हमारे देश की स्थिति काफी अच्छी है, लेकिन पूरे देश में दिल्ली ऐसा राज्य है जहां यूरोप जैसी स्थिति बन सकती है। यहां बार-बार केस अचानक बढ़ रहे हैं। दिल्ली को कंटेनमेंट जोन से बाहर लाने के लिए राज्य के साथ केंद्र सरकार भी तैयारी कर रही है। टेस्टिंग भी दिल्ली में दोगुनी कर दी गई है। हमारी लोगों से अपील है कि वे पूरी तरह सावधानी बरतें।
माइल्ड इंफेक्शन भी आ रहे सामने
दिल्ली जैसे कई बड़े शहरों में काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके हैं। लोग यात्रा बहुत करते हैं। ऐसे में त्योहार और शादी का मौसम चल रहा है। लोग बाहर निकल रहे हैं और काफी दिनों बाद मिलने पर पार्टी भी करने लगे हैं। इसकी वजह से केस कहीं न कहीं बढ़ने लगे हैं। दूसरा कारण टेस्टिंग है। पहले जहां केस आते थे, वहां कॉन्टेक्ट में आए एक या दो लोगों का टेस्ट हो रहा था, लेकिन अब 10 से अधिक लोग टेस्ट करा रहे हैं। टेस्टिंग की सुविधा भी बढ़ा दी गई है। इससे केस सामने आ रहे हैं। आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ने से माइल्ड इंफेक्शन वाले भी जल्दी पकड़ में आ रहे हैं।