गोविंद राणा बदायूंउझानी: -प्रखर बाल संस्कारशाला के बच्चों ने गोवर्धन की पूजा की गई। देवकन्याओं और मातृशक्तियों ने दीप प्रज्ज्वलित किए, संुदर रंगोली बनाई। गायत्री महायज्ञ हुआ। लोकमंगल और सूक्ष्म जगत के परिशोधन के लिए यज्ञ भगवान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय की विशेष आहुतियां समर्पित की।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि गो संवर्धन ही गोवर्धन है। जन्मदात्री मां के बाद गो माता ही शक्ति और दुग्ध का अमृतपान करातीं हैं। प्राणियों के प्राण, स्वावलंबन का आधार भी हैं। गोबर की खाद और गोमूत्र की औषधियाँ श्रेष्ठतम स्वास्थ का प्रतीक हैं। भगवान श्रीकृष्ण गायों की सेवा कर गोपाल बनें। गायों के संवर्धन से ही भारत में दूध की नदियां बहती थीं। देश शक्तिशाली, समृद्धिशाली और सोने की चिड़िया से विभूषित रहा। ‘‘गावो विश्वस्य मातरः‘‘ गाय विश्व की माता है।
सुखपाल शर्मा ने कहा कि गौ, गंगा, गायत्री और गीता से गांव और शहर तीर्थ बनें। भारतीय संस्कृति, सभ्यता, सेवा, संस्कारों और प्राणियों के पोषण और संवर्धन का आधार बनीं। ऋषिमुनियों ने गाय के दुग्ध से बनें दिव्य अमृत पंचगव्य का यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और मानव के कल्याण के लिए उपयोग किया।
मातृशक्ति रीना शर्मा ने गाय के गोबर से गो माता, द्वारपाल, ग्वाले, मठ्ठा चलाती मां, संपूर्ण गांव तीर्थ का चित्र अंकित किया। देवकन्या सौम्या, दीप्ति ने संुदर रंगोली बनाई। खुशबू व भूमि ने मुख्य दीप प्रज्ज्वलित किए। खीर, पूड़ी, मिष्ठान, गुड़, देशी घी आदि से पूजन किया गया। यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां लोक कल्याणार्थ समर्पित कीं। इस मौके पर रामनिवास शर्मा, आरती शर्मा, मृत्युंजय, हेमंत, नेहा, कशिश, सुमन आदि मौजूद रहे।