मंदसौर.deepak tiwari मंदसौर के दामाद माने जाने वाले रावण की खानपुरा स्थित विशाल प्रतिमा देख-रेख के अभाव में जर्जर हो रही है। इस बार दशहरे से 10 दिन पहले ही दशानन का एक सिर गिर गया, वहीं अन्य सिर भी जर्जर हो रहे हैं। 25 अक्टूबर काे दशहरे पर नामदेव समाजजन सुबह रावण की पूजा-अर्चना करेंगे।
मंदसौर जिले को रावण का ससुराल माना जाता है, यानी मंदोदरी का मायका। हालांकि इतिहासकार कैलाश पांडे ने बताया कि इसका इतिहास में उल्लेख नहीं है। बावजूद नामदेव समाज इसे ही परंपरा के रूप में स्वीकार करता आ रहा है। यही कारण है कि प्रतिमा के सामने से समाज की महिलाएं आज भी घूंघट लेकर गुजरती हैं। पूर्व में इस जिले को दशपुर के नाम से पहचाना जाता था। यहां के खानपुरा क्षेत्र में रुण्डी नामक स्थान पर रावण की प्रतिमा है। इसके 10 सिर हैं। दशहरे पर नामदेव समाज के लोग प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं। शाम काे प्रतीकात्मक वध किया जाता है। रावण की प्रतिमा देख-रेख के अभाव में जर्जर हो रही है।
200 साल पुरानी है प्रतिमा
नामदेव समाज जिलाध्यक्ष अशोक बघेरवाल ने बताया कि खानपुरा में करीब 200 साल से भी पुरानी रावण की प्रतिमा थी। करीब 2006-07 में आकाशीय बिजली गिरने से प्रतिमा टूट गई। उसके बाद नपा ने रावण की दूसरी प्रतिमा की स्थापना कराई। हर साल नपा प्रतिमा का रखरखाव कराती है।
प्रतिमा पर एक सिर गधे का
बघेरवाल ने बताया कि रावण की प्रतिमा पर 4-4 सिर दोनों तरफ व एक मुख्य सिर है। मुख्य सिर के ऊपर गधे का एक सिर है। बुजुर्गों के अनुसार रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी, उसके इसी अवगुण को दर्शाने के लिए प्रतिमा पर गधे का भी एक सिर लगाया गया है।