बॉलीवुड में दादामुनि के नाम से पहचाने जाने वाले अभिनेता अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 में हुआ था। भागलपुर में जन्मे अशोक कुमार फिल्मों में अक्सर सिगार लिए और बुजुर्ग के किरदार में ही नजर आया करते थे। लगभग छह दशक तक अशोक कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही लोगों के दिलों पर राज किया है। हालांकि अशोक कुमार अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे क्योंकि छोटे भाई किशोर कुमार का निधन भी इसी दिन हुआ था।
एक स्टार के रूप में अशोक कुमार की छवि 1943 में आई किस्मत फिल्म से बनी। पर्दे पर सिगरेट का धुंआ उड़ाते अशोक कुमार ने राम की छवि वाले नायक के उस दौर में इस फिल्म के जरिए एंटी हीरो के पात्र को निभाने का जोखिम उठाया। इस फिल्म ने कलकत्ता के चित्र थियेटर सिनेमा हॉल में लगातार 196 सप्ताह तक चलने का रिकॉर्ड बनाया। अशोक कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिसमें वर्ष 1962 में फिल्म राखी के लिए पहली बार और फिर 1963 की फिल्म आशीर्वाद शामिल हैं। साल 1966 में फिल्म अफसाना के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया। वे वर्ष 1988 में हिंदी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किए गए. 1998 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।
शादी टूट गई थी
जब अशोक हीरो बने तो उनके घर खंडवा में कोलाहल मच गया। उनकी तय शादी टूट गई, मां रोने लगीं। उनके पिता नागपुर गए वहां अपने कॉलेज के दोस्त से मिले जो तब मुख्य मंत्री थे। उन्होंने स्थिति बताई और अपने बेटे को कोई नौकरी देने की बात कही.
गाना भी गाया था
आशीर्वाद में एक गाना था जो बड़ा लोकप्रिय हुआ था। रेलगाड़ी-रेलगाड़ी छुक छुक छुक छुक छुक छुक, इसे गुलजार और हरिंद्रनाथ चटोपाध्याय ने मिलकर लिखा था। इसे अशोक कुमार का पात्र बच्चों के बीच गाता है। इसे अशोक कुमार ने ही गाया था।