दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ जंग जारी:deepak tiwari

नई दिल्ली.दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की है, ताकि परियोजना स्थलों पर प्रदूषण से निपटने के लिए इसके ठेकेदारों और साइट पर कार्यरत कर्मियों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के समस्त आवश्यक उपायों का कड़ाई से पालन हो।
अभियान के हिस्से के रूप में, प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के अनुपालन की जांच के लिए किए जाने वाले निरीक्षणों की फ्रिक्वेंसी बढ़ाई गई है। डीएमआरसी के पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के पर्यवेक्षण में बनी टीमें सभी साइटों का दौरा व्यवस्थाओं की बारीकी से जांच करती हैं।
अभियान की मॉनिटरिंग डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह खुद कर रहे हैं। ये टीमें निरंतर उड़ती धूल को रोकने के लिए क्या परियोजना स्थलों के चारों ओर कम से कम 6 मीटर ऊंचे बैरिकेड लगाए गए हैं अथवा नहीं, और क्या इनके भीतर कन्वेयर बेल्टों को पूरी तरह से कवर किया गया ताकि धूल निकलने से रोकी जा सके। इसकी जांच करते हैं।
यही नहीं जहां नियमित तौर पर वाहनों की आवाजाही हो, वहां यह जांच की जा रही है कि निकास द्वारों पर पहियों को धोने की सुविधा हो, ताकि सार्वजनिक सड़क पर मिट्टी या कीचड़ को फैलने से रोका जा सके। कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े सभी वाहनों के अनिवार्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्रों (पीयूसी) की वैधता की जांच भी की जा रही है।
कंस्ट्रक्शन साइटों से धूल के प्रसार को रोकने के लिए पानी का छिड़काव करने के अलावा नोजल-बेस्ड मिस्ट सिस्टम का उपयोग किया जाता है। जमीन की खुदाई करने, मलबा उठाने, डेमोलिशन, धूल पैदा करने वाली गतिविधियों के दौरान धूल को बैठाने के लिए पानी के छिड़काव संबंधी जांच की जा रही है।
इसके अतिरिक्त, टीमें यह सुनिश्चित करेंगी कि केवल बैरिकेटेड एरिया में ही कंस्ट्रक्शन गतिविधियां जारी रहे। इसके साथ ही सामग्री को ढककर रखे जाने की व्यवस्था के साथ रेत पर पानी का छिड़काव हो और इकट्ठा रखी गई सामग्री को ढककर रखा जाता हो। दिशानिर्देशों के अनुसार, साइट पर रखी जाने वाली मिट्टी, रेत के मिश्रण, किसी भी प्रकार के मलबे की धूल से प्रभावित होने वाली सभी सामग्रियों को तिरपाल से पूरी तरह से ढककर कवर किया जाना चाहिए, ताकि धूल किसी भी रूप में हवा में न फैले।
हवा की गुणवत्ता सुधारने का प्रयास
इन उपायों को जबकि पूरे वर्ष क्रियान्वित किया जाता है, इस अभियान का आयोजन प्रदूषण नियंत्रण संबंधी नियमों का पालन करने के महत्व को लागू करने के लिए किया जा रहा है, विशेषकर इस परिप्रेक्ष्य में, जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हाल ही में हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई। .
जब प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर है, डीएमआरसी द्वारा प्रदूषण न फैलाने वाली गतिविधियों जैसे मचान बनाना, शटरिंग या डी-शटरिंग के कार्य, भूमिगत कार्य, बिजली के कार्य, वायरिंग, सिग्नलिंग कार्य इत्यादि जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। डीएमआरसी इन निरीक्षणों के अलावा, साइटों पर हरियाली बढ़ाने के लिए समय-समय पर नियमित तौर पर वृक्षारोपण अभियान भी चलाए जाते हैं। इस समय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग पांच से छह साइटों पर कार्य चल रहा है।
कूड़ा जलाने व प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई,17 दिनों में किए 38.43 लाख के चालान
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण व खुले में कूडा जलाने वालों के खिलाफ नार्थ एमसीडी सख्त कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत नार्थ एमसीडी ने पिछले 17 दिनों में खुले में कूड़ा जलाने और वायु प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ 38.43 लाख रुपए के 1761 चालान किए है। 1 अक्टूबर से गत शनिवार तक खुले में कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ 26.43 लाख रुपए के 1,702 चालान किए गए हैं और वायु प्रदूषण फैलाने वालो के खिलाफ 1 से 16 अक्टूबर 2020 तक 12 लाख रुपए के 59 चालान किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों जैसे कि डीडीए, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा अपनी भूमि पर कूड़े व निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट से प्रदूषण फैलाने के लिए 86 चालान किए है।
सरकारी एजेंसियों को भी देखरेख करने को कहा | उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे कि दिल्ली सरकार, डीडीए, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग, भारतीय रेलवे से अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले अनपेक्षित क्षेत्रों की देखरेख करने को कहा जो प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाला कुल अनपेक्षित क्षेत्र का क्षेत्रफल 16,87,413 वर्गमीटर है।
जीपीएस से लैस 18 स्वीपर कर रही है सड़कों की सफाई | उत्तरी निगम ने 134 वाटर स्प्रिंकलर टैंकरों को पानी छिड़कने के कार्य में लगाया है। यह प्रतिदिन लगभग 1340 किलोमीटर तक पानी का छिड़काव करते है। जीपीएस तकनीक से लैस 18 मैकेनिकल रोड स्वीपर लगभग 650 किलोमीटर सड़कों की रोज़ सफाई कर रहे है।
बाजारों, विद्यालयों, संस्थानों आदि में 109,88 एकड़ क्षेत्र में पौधारोपण कर हरा-भरा बनाया गया है। 69.11 किलोमीटर सड़क के किनारे वृक्षारोपण किया गया है। 54 स्थानों पर वर्टिकल गार्डन विकसित किए गए हैं। ये सभी उपाय क्षेत्र को हरा-भरा बनाने व प्रदूषण को कम करने के लिए किए गए है।