जयपुर.एमबीसी को बैकलॉग व प्रक्रियाधीन भर्तियों में पूरे पांच प्रतिशत आरक्षण सहित 6 सूत्रीय मांगों को लेकर एक नवम्बर से प्रस्तावित गुर्जर आंदोलन को लेकर सरकार की हार्ट-बीट बढ़ गई है। गुर्जरों ने अब सरकार का वार्ता प्रस्ताव ठुकरा दिया है और आंदोलन की राह थाम ली है। उधर, भरतपुर जिला कलेक्टर ने अगले आदेश तक जिले के सभी कर्मचारियों-अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। राज्य सरकार ने 23 आरएएस अधिकारियों की अलग-अलग जिलों में तैनाती की है, वहीं पांच तहसीलों में इंटरनेट सेवा आज शाम से बंद करने का आदेश दिया है।
गुर्जर आरक्षण आंदोलन से निपटने के लिए सरकार ने की तैयारियां
राज्य सरकार ने 23 आरएएस अधिकारियों की अलग-अलग जिलों में तैनाती की है। वहीं जयपुर जिले की पांच तहसीलों में भी इंटरनेट सेवा को आज शाम पांच बजे से बंद करने का आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक एचएम ढाका, जगदीश प्रसाद बुनकर, औंकारमल, राजेंद्र कुमार वर्मा, श्याम सिंह शेखावत की करौली में लगाई ड्यूटी है। इनकी सेवाएं करौली कलेक्टर को सौंपी गई है। इसके अलावा 4 आरएएस अखिलेश कुमार पीपल, रामस्वरूप चौहान, संजय शर्मा रामानंद शर्मा को लगाया अलवर लगाया है,वहीं जगदीश आर्य, बालकृष्ण तिवाड़ी, कैलाश गुर्जर, राजेंद्र शर्मा को भरतपुर, जगदीश सिंह मोंगा, सेवाराम स्वामी, सोहनलाल चौधरी और कृष्ण कुमार गोयल को धौलपुर, महेंद्र खींची, सत्तार खान को दौसा, गोविंद सिंह राणावत की बूंदी और मुकेश मीणा, मुनीदेव यादव, प्रवीण लेखरा की ड्यूटी सवाई माधोपुर लगाई है।
पांच तहसीलों में इंटरनेट सेवा आज शाम
जिला संभागीय आयुक्त ने एक आदेश जारी कर जमवारामगढ, पावटा, शाहपुरा, विराटनगर और कोटपूतली तहसील क्षेत्र में प्रशासन ने आज शाम 6 बजे शनिवार शाम 6 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश जारी किया है। ये सभी तहसील के क्षेत्र गुर्जर समाज के आंदोलन से प्रभावित माने जाते हैं।
गुर्जरों ने सरकार के वार्ता प्रस्ताव का न्यौता ठुकराया
करौली जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने गुरुवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के किरोड़ी सिंह बैंसला एवं विजय बैंसला सहित अन्य सदस्यों से मिलकर उन्हें राज्य सराकार द्वारा निर्धारित की गई समझौता वार्ता में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। समिति ने इस आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। हालांकि सरकार ने गुर्जर आरक्षण संबंधी मंत्रीमण्डलीय समिति की बैठक में तीन प्रमुख मांगों पर सकारात्मक फैसला किया है।
ये किए फैसले
1. गुर्जर आन्दोलन के दौरान घायल हुए व्यक्तियों में से कैलाश गुर्जर, मानसिंह गुर्जर एवं बद्री गुर्जर की कुछ वर्षों बाद मृत्यु हो गई थी। इनके परिवार को सामाजिक स्तर पर सहायता जुटाकर युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना द्वारा 5 लाख रुपए प्रत्येक परिवार को सहायता के रूप में दिए जाएंगे।
2. अति पिछड़ा वर्ग के जिन 12.2 अभ्यर्थियों का परिवीक्षाकाल पूर्ण हो चुका है, उन सभी अभ्यर्थियों को राज्य सरकार द्वारा परिवीक्षावधि पूर्ण होने पर रेगुलर पे स्केल दी जाएगी।
3. राज्य सरकार (कार्मिक विभाग) द्वारा अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित प्रावधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूर्व में भारत सरकार को 22 फरवरी 2019 एवं 21 अक्टूबर 2020 को लिखा गया है। इसके लिए पुनः भारत सरकार को उक्त आरक्षण प्रावधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा तत्काल लिखा जाएगा।
गुर्जरों की ये हैं प्रमुख मांगें
आरक्षण को केन्द्र की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
बैकलॉग की भर्तियां निकालनी जाएं। भर्ती में गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
आंदोलन के सभी शहीदों के परिजन को सरकार के वादे के मुताबिक नौकरी, मुआवजा दी जाए।
आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।
गुर्जर कर रहे नुक्कड़ नाटक
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने गुर्जर नेता भूरा भगत के नेतृत्व में तहसील इलाके के एक दर्जन गुर्जर बाहुल्य गांवों का दौरा कर समाज के लोगों से एक नवम्बर को भरतपुर जिले में पीलूपुरा-कारबारी स्मारक स्थल पर पहुंचने का आव्हान किया है।
सभाओं को संबोधित करते हुए भूरा भगत ने आंदोलन को समाज के अस्तित्व की लड़ाई बताते हुए लोगों से अपने बच्चों के भविष्य के लिए एक नवम्बर को हर हाल में अपने मित्रों व रिश्तेदारों के साथ स्मारक स्थल पर पहुंचने को कहा है। गुर्जरों का आरोप है कह सरकार दोहरी नीति अपना कर समाज की आवाज को दबाना चाह रही है।