October 26, 2020
नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल की मुलाकात के एक दिन बाद नेपाली पीएम की ओर से सोशल मीडिया पर विजयादशमी के शुभकामना संदेश के दौरान पुराना नक्शा दिखाए जाने पर हुए विवाद के बाद अब ओली के कार्यालय की ओर से सफाई दी गई है।
विवाद बढ़ने के बाद नेपाली पीएम ओली के कार्यालय की ओर से सफाई देते हुए इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि संशोधित नक्शे का आकार छोटा है इसलिए दिख नहीं रहा है। इस बधाई संदेश में नेपाली पीएम ने जिस नक्शे को ट्वीट किया उसमें लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा का जिक्र नहीं किया गया जिसका वह नए नक्शे में अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। इसके बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए।
नेपाल सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि ओली की विजयादशमी की शुभकामनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया नक्शा तकनीकी कारणों से विकृत था और कहा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से देख रहा है। आलोचना के जवाब में प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने अपने बयान में दावा किया कि संशोधित मानचित्र का उपयोग प्रधानमंत्री के संदेश में किया गया था, लेकिन इसके छोटे आकार के कारण दिखाई नहीं दे रहा था।
ओली के विदेश मामलों के सलाहकार राजन भट्टाराई ने कहा कि नेपाल ने कालापानी क्षेत्र के लिए अपने दावे को कम नहीं किया है। उन्होंने इस विवाद को दुष्प्रचार करार दिया और लोगों से अपील की कि इस पर विश्वास न करें। उन्होंने कहा कि हम देशभक्त लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे नक्शे के बारे में इस तरह के दुष्प्रचार और चलाए जा रहे अभियानों के झांसे में न आएं।
बयान में यह भी कहा गया है कि हम उस नक्शे की गलत व्याख्या के बारे में चिंतित हैं जिसका उपयोग प्रधानमंत्री ओली की विजयादशमी की शुभकामनाओं में किया गया था। यह कुछ ऐसा है जिसे हम गंभीरता से देख रहे हैं।
इससे पहले 23 अक्टूबर को नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली ने समस्त नेपालवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं। खास बात यह रही कि इस शुभकामना संदेश में जिस नक्शे को दिखाया गया वह पुराना नक्शा है, जिसमें नेपाल, लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा क्षेत्र पर अपना दावा पेश नहीं कर रहा है।
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने बुधवार शाम को नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी। हालांकि इस मुलाकात को लेकर प्रधानमंत्री ओली सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी समेत विभिन्न नेताओं की आलोचना के केंद्र में आ गए थे। उन पर कूटनीतिक नियमों की अनदेखी करने के आरोप भी लगे थे क्योंकि गोयल ने ओली से उनके सरकारी निवास पर भेंट की थी, जो सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) समेत अन्य राजनीतिक नेताओं को रास नहीं आई। सत्तारूढ़ दल के नेता भीम रावल ने मुलाकात पर नाराजगी दिखाते हुए कहा था कि रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई।
रॉ प्रमुख गोयल की यह यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की अगले महीने नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस साल 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था।