महाशक्ति के सान्निध्य से ही जाग्रत होता है शिव का शिवत्व


बदायूँ: अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में कादरचैक क्षेत्र के गांव भदरौल में रामकली इंटर काॅलेज के समीप ग्राम देवता मंदिर परिसर में नवरात्र के आरंभ में प्रज्ञा पुराण कथा और सूक्ष्म जगत के परिशोधन के लिए गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि नवरात्र शक्ति का पर्व है। माँ दुर्गा शक्ति रुप सृष्टि की तमाम व्यापकता एवं विविधता के मूल में विद्यमान है। ब्रह्म की क्रियाशक्ति, आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है। प्रकृति की जितनी भी शक्तियां हैं, वे सब इसी की अभिव्यक्ति हैं। इनका स्फुरण, उद्भव, जन्म इसी शक्ति के गर्भ से होता है। सृष्टि का पोषण, संवध्र्दन और रक्षा करती है। यही शक्ति ब्रह्म, विष्णु और महेश की जननी है। उन्होंने कहा सृष्टिकत्र्ता इस सृजनकारिणी शक्ति से हीन होने पर सृष्टिकत्र्ता नहीं रह जाता है। शक्ति से विहीन शिव शव के समान हो जाते हैं, शिव का शिवत्व महाशक्ति के सान्निध्य से ही जाग्रत होता है। भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम ने भी माँ दुर्गा की उपासना की।
उन्होंने कहा माँ दुर्गा महाकाली आसुरी शक्तियों की संहारक हैं, अहंकार का नाश करती हैं और ज्ञान की खड्ग से अज्ञान को नष्ट करती हैं। महासरस्वती विवेक की देवी हैं। विद्या साहित्य, संगीत, विवेक और ज्ञान की अधिष्ठात्री है और महालक्ष्मी के रूप में ऐश्वर्य की देवी हैं। सभी प्राणियों में यही चेतना, बुद्धि, स्मृति, धृति, शक्ति, श्रद्धा, कांति, तुष्टि, दया आदि रूपों में स्थित है। प्रत्येक प्राणी के भीतर मातृशक्ति व मातृप्रवृत्ति के रूप में ही प्रवाहित और प्रकाशित है। 
आध्यात्मिक साधनाओं के लिए ऋतुसंधि नवरात्र से बढ़कर और कोई अवसर नहीं हो सकता। यदि इसके साथ युगसंधि का दुर्लभ सुयोग जुड़ा हो तो इसका महत्त्व सौ गुना हो जाता है। नवरात्र के इस पुण्यपर्व पर आत्मशोधन और आत्मोत्कर्ष साधना में जरूर भागीदार बनें। माँ दुर्गा की साधना प्राणियों का सुरक्षा कवज है। ब्रह्मचर्य, उपवास, जप, भूमिशयन, हिंसायुक्त पदार्थों का त्याग, यज्ञ, पूर्णाहुति, कन्याभोज और प्रसाद वितरण नितांत जरूरी है। अवतरित शक्ति का एक अंश ज्ञान को सक्रियता में बदलकर महान कार्य और श्रद्धा को निष्ठा में बदलकर सार्थकता सिद्ध करने की श्रेष्ठ सामथ्र्य प्रदान करता है।
प्रज्ञा पुराण कथा के बाद गायत्री महायज्ञ हुआ। भवेश चंद्र सक्सेना और ऊषा देवी मुख्य यजमान के रूप में रहीं। श्रद्धालुओं ने गांव की खुशहाली और सूक्ष्मजगत के परिशोधन के निमित्त यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां यज्ञ भगवान को समर्पित कीं। देवीस्वरूपा कन्याओं को बालभोग, दही, जलेबी भोज्य कराकर, तिलक, पुष्पवर्षा, चरण स्पर्श कर दक्षिणा दी गई। देवकन्याओं ने भजन कीर्तन किए, मां दुर्गा की भव्य आरती की गई। प्रधानाचार्य अरूण सिंह ने जलाभिसिंचन किया।
इस मौके पर आशुतोष सक्सेना, वैशाली, दिव्यांशु, सुधांशु, अंकुर, पूरन लाल, रिया, अनु आदि मौजूद रहीं।