जोधपुर.deepak tiwari एक बार फिर शरद पूर्णिमा को जोधपुर का प्रसिद्ध मेहरानगढ़ फोर्ट संगीत की स्वर लहरियों से गुंजने को बेताब है, लेकिन कोरोना इस राह में रोड़ा बन खड़ा है। देसी-विदेशी कलाकारों का आना खटाई में पड़ा है। ऐसे में देसी-विदेशी कलाकारों की जुगलबंदी के फ्यूजन के लिए मशहूर राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टिवल (रिफ-2020) का 13वां संस्करण इस बार वर्चुअल हो सकता है। पांच दिवसीय यह आयोजन 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक मेहरानगढ़ फोर्ट और जसवंतथड़ा में होना है।
अनलॉक-5 में केंद्र व राज्य की ओर से ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर कोई विशेष गाइडलाइन जारी नहीं होने की वजह से न तो देश विदेश के आर्टिस्ट इसमें शिरकत करने जोधपुर आ पाएंगे और न ही श्रोता। इस वजह से आयोजक इस बार रिफ 2020 को ऑनलाइन आयोजित करने की तैयारियां कर रहे हैं। दरअसल, शरद पूर्णिमा को इधर आसमान में साल का सबसे उजला, सबसे चमकदार चांद टंगता है और उधर जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट कमायचा, कश्मीरी रूबाब, डफ, सारंगी, घटमा, खड़ताल, बांसुरी, गिटार, संतूर, गिटार जैसे कितने ही वाद्यों की स्वरलहरियों से गूंज उठता है।
इस बार शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को है। हर साल अक्टूबर के अंत में सर्द रातों में पांच दिवसीय राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टिवल होता है। इसमें स्थानीय लोक कलाकारों के साथ देसी-विदेशी कलाकार अपनी गायकी और संगीत का बेहतरीन तालमेल पेश करते हैं। वर्तमान में सरकार ने 50 से अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठे होने पर पाबंदी लगा रखी है, इसलिए इस आयोजन को इस बार वर्चुअल करने की तैयारी की जा रही है।
हालात के अनुसार तैयारी
मेहरानगढ़ फोर्ट म्यूजियम ट्रस्ट के डायरेक्टर करणीसिंह जसोल ने बताया कि इस बार इस आयोजन पर कोरोना का असर पड़ा है, इसलिए फिजिकली आयोजन को फिलहाल स्थगित करके वर्चुअल करने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें लोक कलाकारों के साथ विदेशी कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। जल्द ही इस बारे में अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
ऐसा है रिफ?
जोधपुर रिफ एक गैर लाभ 5 दिवसीय महोत्सव है जिसका आयोजन जयपुर विराट फाउंडेशन और मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। इसने यूनेस्को द्वारा रचनात्मकता और सतत विकास के लिए पीपुल्स प्लेटफॉर्म के रूप में भी सराहना प्राप्त की है। यह पर्व शरद पूर्णिमा के आसपास आयोजित किया जाता है जब चंद्रमा आकाश में ऊपर पूर्ण, उज्ज्वल और स्पष्ट होता है, और आप ब्रह्मांड, और संगीत के माध्यम से दिव्य ऊर्जा से खुद को जोड़ सकते हैं।
मारवाड़ इलाके में लंगा और मांग्नियार दो समुदाय हैं। इनमें लंगा समुदाय का लोक वाद्य सिंधी सारंगी और मांग्नियार का कमाएचा है। दोनों ही वाद्ययंत्र सारंगी पर ही आधारित हैं। दोनों सुमदाय के लोग अपने-अपने वाद्ययंत्रों को बजाने के बेजोड़ कलाकार माने जाते हैं। इन स्थानीय कलाकारों के साथ दुनियाभर के नामचीन संगीतकार जुगलबंदी करते हैं और इसे सुनने के लिए दुनिया के चुनिंदा संगीत प्रेमी हर साल यह जानने जोधपुर पहुंचते हैं कि इस बार नया क्या हो रहा है।