दीपक तिवारी
देश में एक ऐसा भी अस्पताल भी है, जहां इलाज नहीं मौत मिलती है? ये हम नही कह रहे ! ये लोग कह रहे है ! यह अस्पताल मध्यप्रदेश के रीवा जिले में है. जिसकी नीव यह मानकर रखी गई थी कि विंध्य के मरीजों का इलाज हो सकेगा ! हमेशा विवादो के चलते सुर्ख़ियों में रहने वाला संजय गाँधी मेमोरियल चिकित्सालय महज एक अस्पताल नहीं बल्कि सीधे श्यामशाह मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध है.
रीवा वासियो का कहना है कि कोरोना काल में यह अस्पताल मौत का अस्पताल बन चुका है. विंध्य के किसी भी जिले से आने वाले कोरोना मरीज यहां स्वस्थ होकर घर नहीं जाते बल्कि सीधे परलोक सिधार जाते हैं. सर्व सुविधायुक्त होने के बावजूद भी यह अस्पताल मरीजों को सुविधा दे पाने में असमर्थ है, कारण भगवान् का रूप कहे जाने वाले स्वयं यहाँ के चिकित्सक हैं.
रविवार 7 सितंबर और सोमवार की दरमियानी रात तडके तीन बजे तक अस्पताल में कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है. जिन्हे भर्ती होने के बाद इलाज की महज खानापूर्ति की गई. सूत्रों की माने तो यहाँ के चिकित्सक कोरोना मरीजों को हाँथ तक नहीं लगाते, मरीज वार्ड बॉय एवं स्टाफ के जिम्मे होते हैं, जिनका एकमात्र काम है मरीज से पैसे ऐठना और मौत के दौरान उनके सामान गायब करना.
*रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर की मौत, परिजनों ने व्यवस्था पर उठाए सवाल*
सतना जिले के एक रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर बद्री प्रसाद मिश्रा की मौत रविवार की रात करीब 11 बजे संजय गाँधी अस्पताल में हुई है. हाल ही में उनका स्वास्थ्य बिगड़ा था और वे कोरोना संक्रमित पाए गए थें. उन्हें इलाज के लिए संजय गाँधी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन रविवार को इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई.
*वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग महज दिखावा, छूते तक नहीं चिकित्सक*
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में शुरू कराई गई वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग सुविधा महज एक दिखावा है. जहाँ मरीजों को अस्पताल में चल रही लापरवाही की बात न बताए जाने के लिए पहले डराया जाता है इसके बाद उन्हें वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में शामिल किया जाता है. पहले भी अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए जा चुके हैं कि यहां चिकित्सक कोरोना संक्रमितों को छूते तक नहीं है, इलाज तो दूर की बात है. जो कोरोना के संक्रमण से स्वस्थ भी हो जाते हैं वे भी भगवान भरोसे होते हैं.
हालत ये हैं कि अगर दूसरे जिले से गंभीर मरीज के नाम पर आने वाले कोरोना पीड़ित संजय गाँधी अस्पताल में भर्ती होते हैं तो यहाँ उनकी मौत होती है. रीवा समेत सतना, सीधी और सिंगरौली के कई मरीज यहाँ दम तोड़ते जा रहें हैं. जिनमें सतना से आने वाले मरीजों की संख्या अधिक है. अब तो इन रीवा के आलावा अन्य जिलों से आने वाले कोरोना संक्रमितों के परिजन खुद ही यह कहने लगे हैं कि कहीं भी भेज दो बस SGMH मत भेजो.
परिजनों के मुताबिक बद्री प्रसाद मिश्र को सांस लेने में तकलीफ जरूर थी लेकिन वह पूर्ण रूप से स्वस्थ थे उन्होंने शाम को मेडिकल कॉलेज के डीन से वीडियो कांफ्रेंसिंग में बात की थी और भोजन की सराहना की थी लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि श्री मिश्र की मौत हो गई . परिजनों के मुताबिक उन्हें प्यास लगी थी लेकिन अस्पताल में कोई पानी देने वाला नही था , रात में वे बाथरूम गए थे जहां उनकी मृत्यु हो गई .
गत माह संजय गाँधी अस्पताल में एक फिर बड़ा बवाल हुआ था. यहाँ एक युवक का शव एक वृद्ध से बदली कर दिया गया और बिना परिजनों को सूचित किए मृतक युवक का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. इस पर प्रदेश स्तर तक हंगामा मचा था. जिसमें एक चिकित्सक को निलंबित कर दिया गया. बाद में मामले को लेकर रीवा कमिश्नर द्वारा कुछ स्टाफ को निलंबित कर इतिश्री कर ली गई थी और वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया था.