इंदौर.कोरोना काल में अमानवीयता का एक और उदाहरण देखने को मिला है। शनिवार तड़के महिला वकील अचला जोशी को हार्ट अटैक आया। परिजन उन्हें लेकर भटकते रहे। एक अस्पताल ने बेड नहीं होने पर भर्ती करने से इनकार कर दिया तो दूसरे ने मिन्नतों के बाद स्ट्रेचर पर ही ऑक्सीजन लगाई। समय पर इलाज नहीं मिल पाने से उनकी मौत हो गई। भाई अरविंद जोशी के अनुसार, अचला को रात दो बजे बेचैनी होने लगी। खासी और पसीना आने लगा। घबराहट बढ़ने पर सवा छह बजे बॉम्बे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो स्टाफ ने बेड नहीं होने का हवाला देकर भर्ती करने से मना कर दिया। पौने सात बजे अरबिंदो पहुंचे तो वहां भी यही स्थिति थी। मैंने स्टाफ से कहा कि बेड न मिले तो कम से कम स्ट्रेचर पर लेकर ऑक्सीजन सपोर्ट ही दे दें। भर्ती नहीं किया, लेकिन सवा सात बजे ऑक्सीजन लगा दी। 8 बजे अचला ने दम तोड़ दिया। बॉम्बे हॉस्पिटल के जीएम राहुल पाराशर का कहना है कि बेड उपलब्ध होने पर किसी को मना नहीं करते हैं, सबका उपचार करते हैं।
वफादारी महंगी है, सस्ते लोगों से उम्मीद न करें
जोशी की पहचान महिला हक के लिए लड़ने वाली वकील की थी। जो हुआ संयोग से सोशल मीडिया पर आखिरी संदेश से जुड़ता है। उन्होंने लिखा था वफादारी महंगी है, सस्ते लोगों से उम्मीद न करें।
बार एसो. ने जिला जज को लिखा पत्र
इंदौर अभिभाषक संघ सचिव कपिल बिरथरे के मुताबिक, अस्पताल ने प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया। हमने जिला व सत्र न्यायाधीश को अस्पतालों पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
हार्ट अटैक के बाद के एक-दो घंटे महत्वपूर्ण
कार्डियोलॉजी एसो. के अध्यक्ष डॉ. जीसी गुप्ता के अनुसार, हार्ट अटैक के बाद एक-दो घंटे अहम होते हैं। मरीज की जान बचाने के लिए जितना जल्दी हो अस्पताल पहुंच उपचार शुरू कराना चाहिए।