मिठाई की दुकान से यश जौहर का ऐसे चमका सितारा deepak tiwari

इंदौर। देश बंटवारे के बाद यश जौहर का परिवार दिल्ली आ गया। पिता ने ‘नानकिंग स्वीट्स’ नाम से मिठाई की दुकान खोली। यश को उनके पिता ने दुकान पर बैठा दिया, उन्हें यह काम करना बिल्कुल पसंद नहीं था। फिल्मों में मन लगा रहता था मां ने उनका साथ दिया मुंबई आ गए। कड़े संघर्ष के बाद बेहतरीन निर्माता — निर्देशक बन कर मुकाम हासिल किया ।
यश जौहर का जन्म आज ही के दिन 6 सितंबर 1929 को लाहौर में हुआ था। उनकी फिल्मों की विशेषता भव्य सेट और विदेशी लोकेशंस रहे हैं। यश मुंबई तो पहुंचे लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। डायरेक्टर के. आसिफ ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग कर रहे थे। यश अंग्रेजी बोल लेते थे जिससे इम्प्रेस होकर मधुबाला ने उन्हें तस्वीर लेने की इजाजत दे दी और तो उन्हें नौकरी मिल गई। फिर सफलता प्राप्त करते गए। बतौर निर्माता पहली फिल्म अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ ‘दोस्ताना’ बनाई थी। यह फिल्म हिट रही थी साल 1977 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन शुरू की।
यह थी यश की सुपर डुपर हिट फिल्में
कुछ कुछ होता है , कल हो ना हो , कभी खुशी कभी ग़म , अग्निपथ , डूप्लीकेट , मुकद्दर का फैसला , दुनिया , गुमराह , दोस्ताना , कभी अलविदा ना कहना , दोस्ताना ‑2 , मुझे जीने दो , द जंगल बुक , हम , फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा , गाइड , प्रेम पुजारी की सफलता मं भी यश की प्रोडक्शन कंपनी का हाथ रहा है ।