आर्थराइटिस का देशी इलाज:deepak tiwari कैंसर के बाद अब हल्दी जोड़ों का दर्द दूर करने में भी कारगर साबित हुई, ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में किया दावा
आर्थराइटिस से जूझ रहे हैं तो डाइट में हल्दी को जरूर शामिल करें। जोड़ों का दर्द दूर करने में हल्दी पेनकिलर का काम करती है। ऑस्ट्रेलिया में हुई रिसर्च के मुताबिक, घुटनों के दर्द से राहत दिलाने में हल्दी कारगर साबित हुई है।
12 हफ्ते तक चली रिसर्च
हल्दी के असर को समझने के लिए ऑस्ट्रेलिया की टेजमेनिया यूनिवर्सिटी में आर्थराइटिस के 70 मरीजों पर रिसर्च की। ये मरीज घुटनों के दर्द से जूझ रहे थे और इनके जोड़ों के अंदरूनी हिस्से में सूजन भी थी। इन्हें 12 हफ्तों तक रोजाना हल्दी के दो कैप्सूल दिए गए। तीन महीने बाद हल्दी के असर को देखा गया।
जिन्हें हल्दी नहीं दी गई उनमें दर्द बरकरार रहा
एन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, घुटने के दर्द से जूझ रहे जिन मरीजों ने हल्दी का सप्लिमेंट लिया उनमें दर्द कम हुआ। इस दौरान उनमें कोई साइडइफेक्ट नहीं दिखा, वहीं जिन मरीजों को हल्दी नहीं दी गई उनमें दर्द बरकरार रहा।
हल्दी लेने वालों मरीजों के घुटने की स्कैनिंग करने पर पता चला कि अंदरूनी तौर पर फर्क नहीं पड़ा लेकिन दर्द जरूर कम हुआ। रिसर्चर्स का कहना है, इस पर और बड़े स्तर पर ट्रायल कराए जाने की जरूरत है।
भारतीय शोधकर्ताओं ने साबित किया, यह कैंसर से बचाती है
तिरुवनंतपुरम में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस ने हल्दी से कैंसर के इलाज का अमेरिकी पेटेंट हासिल किया है। इंस्टीट्यूट का दावा है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व से कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इंस्टीट्यूट के मुताबिक, कैंसर के ट्यूमर को शरीर से हटाने बाद हल्दी से इलाज किया जाएगा ताकि ट्यूमर खत्म करें और शरीर में फैलने से रोका जा सके।
करक्यूमिन ही क्यों?
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लिसी कृष्णन के मुताबिक, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन आसानी से शरीर में अवशोषित होता है और कैंसर से लड़ता है। कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए ट्यूमर वाले हिस्से में सीधे करक्यूमिन रिलीज किया जाएगा। यह सामान्य कोशिकाओं को नुकसान न पहुंचाकर सीधे सीधे कैंसर कोशिकाओं पर हमला करेगा। कई रिसर्च में भी यह साबित हो चुका है कि यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है।
ये भी हैं फायदे
हल्दी पर इससे पहले भी रिसर्च हुई हैं जिसमें इसके कई फायदे बताए गए हैं-
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है: आयुर्वेद के मुताबिक, हजारों सालों से हल्दी का इस्तेमाल दवा के तौर पर भी किया जा रहा है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट्स हैं जो इसे सुपरफूड साबित करते हैं। डाइट में इसे शामिल करने से रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। कोरोनाकाल में आयुर्वेद विशेषज्ञ भी हल्दी वाला दूध पीने की सलाह दे रहे हैं।
ब्रेन को सेहतमंद रखती है : हल्दी में मौजूद करक्यूमिन ब्रेन में BDNF हार्मोन का स्तर बढ़ाती है जिससे मस्तिष्क में नई कोशिकाएं पैदा होती हैं। अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा भी घटता है।
डिप्रेशन दूर करने में भी मददगार : 60 लोगों पर हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि करक्यूमिन एक तरह से एंटीडिप्रेसेंट का काम करता है। जो डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। रिसर्च में प्रमाण मिले कि यह इंसान को खुश रखने वाले हार्मोंस जैसे डोपामाइन को रिलीज करने में मदद करता है।