हाजीपुर(वैशाली) पूरे विश्व में लगभग 6 महीनों से जबरदस्त कोरोना महामारी वायरस के कारण हर देश की सरकारें अपने-अपने देश में लाॅकडाउन कर अपनी जनता को सुरक्षित रखा।यही लाॅकडाउन हमारे देश में भी हुआ।यहाँ तक कि सरकारी निर्देशों का पालन सभी मंदिर,मस्ज़िद,मज़ार,गुरूद्वारा,गिरजाघर इत्यादि के ट्रस्टों एवं अक़ीदतमन्दों ने किया और लाॅकडाउन में पूरा सहयोग किया।हिन्दलवली ए ख्वाजा ग़रीब नवाज़ इत्यादि सूफ़ी,संतों के आस्तानों में सन्नाटा छाया रहा।उसी तरह आल-ए-ख़्वाजा शहीद हज़रत मामू-भांजा हैं जिनके आस्तानें पर सालों भर सभी समुदाय के आस्था रखने वाले मंगत,फरियादियों का ताँता लगा रहता था।यहाँ भी ज़्यारत का द्वार बन्द रहा।अब अनलॉक 4 में सरकार द्वारा थोड़ा ढील देखकर ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के आस्ताने का एहतियात के तौर पर मात्र 4 द्वार खोले जाने के माँग के मद्देनज़र हाजीपुर शहर के महान शहीद बुजुर्ग हज़रत मामू-भांजा खानदान ए-ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के 3 द्वार मे से 1 द्वार खोलने का अनुरोध शहीद-ए-आज़म कमिटी वैशाली ने बिहार सरकार एवं ज़िला प्रशासन से किया है।जिसमे कमिटी द्वारा मज़ार गेट खोलने का समय सुबह 8 से 12 एवं दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक तय किया गया है वो भी सोशल डिस्टेंस,मास्क के साथ बिना भीड़-भाड़ के बारी-बारी से ज़्यारत का फैसला लिया है।अनुरोध करने वालों मे मुख्य रूप से ज़िला कमिटी के सचिव मोहम्मद नसीम अहमद,मोहम्मद हारून रशीद, अल्हाज जनाब डाॅक्टर अनवर आलम साहब,मोहम्मद जमील मास्टर,मोहम्मद मोबिन अंसारी,आरिफ कुरैशी,मोहम्मद सोहैल अख्तर,मोहम्मद एजाज,मोहम्मद मोबश्सीर रजा,मोहम्मद नज़रे आलम उर्फ नबाब साहब,मोहम्मद नजीरउद्दीन,नूर मोहम्मद, हाफिज व कारी मोजीब अशरफ रफाकती इत्यादि लोगों ने एहतियात बरतते हुए मज़ार गेट खोलने की अनुमति का अनुरोध किया है साथ ही साथ भीड़-भाड़ इकट्ठा न करने का वादा भी किया है।
रिपोर्ट व फोटो मोहम्मद शाहनवाज अता