सवाई माधोपुर@ रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा। नाबालिग से रेप मामले में महिला थाना पुलिस ने पूर्व भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सुनीता वर्मा व एफसीआई कार्मिक हीरालाल मीणा निवासी मैनपुरा को रविवार को गंगापुर सिटी न्यायिक मजिस्ट्रेट के निवास पर पेश किया गया।
जानकारी के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले में गहन अनुसंधान एवं पूछताछ के लिए दोनों को तीन दिन के पीसी रिमाण्ड पर पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस तहकीकात के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी, क्योंकि अभी भी भाजपा कार्यकर्ताओं सहित कई लोगों के दिल में यह बात सही से गले नहीं उतर पा रही है, कि सामाजिक कार्यकर्ता रही सुनीता वर्मा इस तरह के घिनौने कृत्य में भी शामिल हो सकती है।उनके प्रति लोगों के विश्वास की प्रमुख वजह यह है, कि संपूर्ण कोरोना काल के दौरान पूर्व भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष सुनीता वर्मा उर्फ संपत्ति बाई ने जन सहयोग व अपने निजी खर्चे पर गरीब, जरूरतमंद व निराश्रित लोगों की पूर्ण मनोयोग से मतलब तन मन धन से सेवा की थी। इस दौरान वर्मा ने ड्राई खाद्य सामग्री से लेकर, तैयार भोजन व फल सब्जियों से लेकर नगद सहायता राशि भी कोरोना कालखंड में जारी लोक डाउन के दौरान लोगों को उपलब्ध कराई थी। सामाजिक सरोकार की दिशा में बेहतरीन कार्य करने के कारण आज भी समुदाय में कुछ प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो वर्मा को गलत मानने को तैयार नहीं हैं। जिन्हें वर्मा ने आपत्ति काल में सहयोग प्रदान किया था वह यह मानने को तैयार नहीं है, कि वर्मा ऐसा भी कार्य कर सकती है, इसके कारण उन्हें नीचा देखना पड़े। कुछ लोगों की माने तो उनका सीधा सा जवाब है कि यह संपूर्ण कार्यवाही विपक्षी दल द्वारा वर्मा को बदनाम करने के लिए रची गई जो की एक साजिश का हिस्सा है। क्योंकि वर्मा का जिला मुख्यालय पर राजनीतिक कैरियर उछाल पर था।वर्मा की भारतीय जनता पार्टी में महिला सदस्य के रूप में अच्छी पहचान बनती जा रही थी। इस मसले पर स्वयं सुनीता वर्मा ने भी संपूर्ण मामले को षड्यंत्र करार दिया है। खैर पुलिस तहकीकात के बाद ही मामले से पर्दा उठ पाएगा, लेकिन दाल में काला जरूर है। क्योंकि किसी शायर ने कहा है कि, अगर कोई बात निकलेगी, तो दूर तलक जाएगी। मतलब परिस्थितियां यह स्पष्ट करती है कि,वर्मा का किसी ना किसी रूप में मामले में हस्तक्षेप जरूर है। भले ही वर्मा अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करे, लेकिन घटना में उनकी संलिप्तता नजर आती हुई दिखाई दे रही है। यही वजह है, कि पुलिस को उनके खिलाफ एक्शन लेना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी ने भी किसी प्रकार की बदनामी वह राजनीतिक क्षेत्र में होने वाली किरकिरी से बचने के लिए वर्मा को पद मुक्त कर अपना पीछा छुड़ा लिया है। जबकि विपक्ष इस मामले को ग्राम पंचायत चुनाव तक में भुनाने को लेकर प्रयासरत है।